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अवसाण वि [अवसान] पृथक्, अविभागी अंश। (निय.२५) खंधाणं अवसाणो। अवसेस पुं [अवशेष] अवशिष्ट, बाकी, बचा हुआ। (सू.१३, स.२९७,२९९) अवसेसा जे भावा ते मज्झ परे त्ति णादव्वा। (स.२९७) आलंबणं च मे आदा अवसेसाई वोसरे। (भा.५७) अवसेसाई (द्वि.ब.) अवसेसे (द्वि.ब.भा.१) अवसेसं (द्वि.ए.निय.९९) अविट्ठ वि [अविष्ट प्रवेशित, घुसता हुआ। (प्रव.२९) ण पविट्ठो
णाविट्ठो। (प्रव.२९) अवितत्य वि [अवितार्थ] यथार्थरूप, सत्यार्थ, वस्तुस्वरूपात्मक
पदार्थ। (मो.१७) अवितत्थं सव्वदरसीहिं। (मो.१७) अविदिद वि [अविदित] अज्ञात, नहीं जाना हुआ। (प्रव.चा.५७, मो.१०) अविदिदपरमत्येसु। (प्रव.चा.५७) -त्य वि [अर्थ पदार्थ के स्वरूप को न जानने वाला। (स.३२४) अविदिदत्यमप्पाणं । (मो.१०) अविभागी न [अविभागिन्] अविभागी,जिसका दूसरा हिस्सा न किया जा सके। एक्को अविभागी मुत्तिभवो। (पंचा.७७) अविभत्त वि [अविभक्त प्रदेश भेद से रहित, जुदे-जुदे नहीं। (पंचा.४५,८७) अविभत्ता लोयमेत्ता य (पंचा.८७) अवियडीकरण वि [अविकृतीकरण] अविकृतीकरण, जैसा का तैसा, विकृत नहीं होने देना। (निय.१०८) नियमसार में आलोयण (आलोचन), आलूंछण (आलून्छन), अवियडीकरण
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