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वि [विध] अनेक प्रकार। (स.८४,१७९,प्रव.जे.३२) -जम्मंतर न [जन्मान्तर अनेक जन्मों तक। (भा.३२) -वित्थरविसेस वि [विस्तारविशेष] अनेक प्रकार के विस्तार वाला। (स.३८३) - वार वि [वार अनेक बार | अणेयवाराओ (द्वि.ब.भा.१४,१६) अणेसणा स्त्री [अनेषणा] एषणा का अभाव, एषणारहित। (प्रव.
चा.३७) अणेसणं (द्वि.ए.) अणोवम वि [अनुपम] उपमा रहित,अनुपम (प्रव.१३, निय.१७७, चा.४३, भा.१६१, मो.३,१८) विसयातीदं अणोवममणंतं। (प्रव.१३) अण्ण स [अन्य] दूसरा, अन्य, भिन्न, पर, और भी, पृथक्, अलग। (पंचा.४४,स.४८, प्रव.जे.२०, भा.४६) ण जहं अण्णो कहं होदि। (प्रव.जे.२०)-णिरावेक्ख वि निरापेक्ष] अन्य की अपेक्षा से रहित। (निय, २८) अण्णणिरावेक्खो जों-दविय पुं न [द्रव्य] अन्य द्रव्य। (पंचा.८८, स.३७२, प्रव.जे.६२) अण्णदविएण अण्णदवियस्स | (स.३७२) -भाव पुं [भाव] अन्यभाव, परभाव। अण्णभावाणं (ष.ब.स.४८) -वस वि [वश] परवश, पराधीन। (निय.१४१,१४४,१४५) सुहभावे सो हवेइ अण्णवसो। (निय.१४४) -त्त दि [त्व]भेदरूप, पृथक्ता,भेदभाव। (पंचा.४६,९६, स.१७१, प्रव. जे.१४) अण्णत्तं गाणगुणो। (स.१७१) -मण्ण वि [अन्य] परस्पर, आपस में, (पंचा.७,४८) अत्यंतरिदो दु अण्णमण्णस्स। (पंचा४८) -हा अ [था] अन्य रूप, अन्य प्रकार, विपरीतरीति, विभावरूप।
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