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भिक्ख न [भैक्ष्य] भिक्षा, आहार। (प्रव.२७, २९) भिक्खु पुंस्त्री [भिक्षु] मुनि, साधु । (पंचा.१४२, सू.२१, भा.८१) भिच्च पुं भृत्य] नौकर, सेवक। (द्वा.३,९) भिज्ज सक [भिद्] भेदाना,तोड़ना। (स.२०९, भा.९५) भिण्ण वि [भिन्न] खण्डित, विदारित। (पंचा.३५, निय.१११,
भा.६३) -देह पुं न [देह] खण्डित शरीर, शरीर रहित। (पंचा.३५, भा.६३) भीम वि [भीम भयंकर, भीषण। (बो.४१, भा.९८) -वण न
वन घनघोर जंगल, भयानक वन। (बो.४१) भीरु वि [भीरु] डरपोक, भीत, डरा हुआ। (निय.६) भीसण वि [भीषण] भयंकर, भयानक। (भा.८) भुंज सक [भुज्] भोग करना, अनुभव करना। (पंचा.६३, स.१९५,
सू.१७) जदि/ जेइ (व.प्र.ए.पंचा.१२२,सू.२२)भुंजंति(व.प्र.ब. पंचा. ६७, स.३३०) भुंजंतस्स (व.कृ.ष.ए.स.२२०) भुक्खिद वि [भुक्षित क्षुधा से पीड़ित, भूखा। (प्रव.चा.ज.व.२७) भुत्त वि [भुक्त] खाया हुआ, भक्षित। (भा.९, ४०) भुय पुंस्त्री [भुज्] भुजा, हाथ, बाहु। (बो.५०) । भुवण न [भुवन] लोक, संसार। -यल न [तल] लोक का भाग,
लोक की सतह। (मो.२१) भूस्त्री [भू] पृथिवी, धरती, भूमि। (निय.२२) भूद वि [भूत] 1. उत्पन्न हुआ, बना हुआ। (पंचा.६०, स.२४, प्रव.१५) 2. पुं [भूत]जीव, प्राणी। 3. सत्य,यथार्थ। -त्थ वि
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