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पुंज [पुंस्] पुरुष। (निय.४५) पुंचली स्त्री [पुंश्चली] कुलटा, व्यभिचारिणी। (लिं.२१) -घर न
[गृह] व्यभिचारिणी के घर। (लिं.२१) पुग्गल पुं न [पुद्गल] मूर्त द्रव्य, रूपी पदार्थ, द्रव्य का एक भेद। जिसमें रूप, रस, गन्ध एवं वर्ण पाये जाते हैं वह पुद्गल है। (पंचा.७६, स.८०, प्रव.५६, निय.३२) -कम्म पुं न [कर्मन्] पुद्गलकर्म। मिथ्यात्व, अविरति, योग, अजीव और अज्ञान पुद्गल कर्म हैं। (स.८८) -कम्मफल पुंन [कर्मफल] पुद्गल कर्म फल। (स.७८) -करण न [करण] पुद्गल का निमित्त । (पंचा.९८) -काय पुं [काय] पुद्गल समूह, स्कन्ध। (पंचा.९८) -दव्व पुं न [द्रव्य] पुद्गल द्रव्य । (पंचा.६६,स.३२९) -दब्बीभूद वि [द्रव्यीभूत] पुद्गलद्रव्यरूप, पुद्गलद्रव्यमय। (स.२४, २५) जदि सो पुग्गलदब्बीभूदो। -भाव पुं [भाव] पुद्गलभाव। (स.८६) -मइ/मय पुं [मय] पुद्गलमय, पुद्गलात्मक, पुद्गलरूप । (स.६६, २८७) पुज्ज वि [पूज्य] पूजनीय। (बो.१६) पुढवी स्त्री [पृथिवी] भूमि, धरती, पांच स्थावरों का एक भेट ।
(पंचा.११०, प्रव. शं.४०, लिं.१५) पुट्ट वि [स्पृष्ट] छुआ हुआ। (स.१४१, पंचा.८३) पुट्ठिय वि पुष्टित पुष्टीकर, ताकतवर। (चा.३५) पुण/पुणो अ [पुनः] फिर,और,इसके अनन्तर,चूंकि,इस तरह, जो कि,तथा,किन्तु। (पंचा.६०,स.१४२,प्रव.२,२०,६१) -आगमण
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