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अट्ट वि [आर्त] पीड़ित, दुखित, ध्यान का एक भेद। (निय. १२९,१८०, भा.७६, लिं.५) -रुद्द न [रौद्र] आर्तरौद्र । (निय.१८०, भा.७६) अट्टरुद्दाणि (निय.१८०) अठिद वि [अस्थित] स्थिति का अभाव। (स.१५२) अट्ठ त्रि [अष्ट] आठ, संख्या विशेष। (पंचा.२४,स.४५,
भा.११९) ववगददोगंधअट्ठफासो य। (पंचा.२४) -कम्मबंध पुं न [कर्मबन्ध] आठ प्रकार का कर्मबन्ध। (निय.७२) पट्ठट्ठकम्मबंधा। (निय.७२) -गुण पुं न [गुण] आठ गुण । (निय.४७) अट्ठगुणालंकिया जेण। -महागुण-समण्णिय वि [महागुणसमन्वित] आठ महागुणों से युक्त। (निय.७२) - वियप्प न [विकल्प] आठ विकल्प। (पंचा.१४९, स.१८२)-विह पुंस्त्री [विध] आठ प्रकार। (स.४५) अट्ठविहं पि य कम्मं| अट्ठ पुंन [अर्थ] वस्तु, पदार्थ। (पंचा.१०८, प्रव.८५,८६) अट्ठारह त्रि [अष्टादश] अठारह। (भा.१५१,मो.९०) -दोसवज्जिअ वि दोषवर्जित] अठारह दोषों से रहित। (मो.९०) अट्ठारहदोसवज्जिए देवे। (मो.९०) अट्ठि पुं [अस्थि] हड्डी। (भा.४२) अण अ [अन] निषेधवाचक अव्यय । (प्रव.जे.१०६) अणंत पुं [अनन्त] अनन्त, अन्तरहित, संख्या विशेष। (पंचा.२८,२९, निय.३५) -जम्मंतर पुं [जन्मान्तर अनन्त जन्मों में। (भा.१८) -पदेस पुं [प्रदेश] अनन्तप्रदेश । (निय.३५)-भवसायरपुं भव-सागर अनन्तभवसागर। -संसार
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