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अज्झप्पट्ठाणा। (स.५२) अज्झयणपुंन [अध्ययन] अभ्यास, अध्ययन, पढ़ना। (प्रव.चा.५६, निय.१२४,भा.८९) अज्झयणमोणपहुदी। (निय.१२४) अज्झवस सक [अध्यव+सो] विचार करना, चिंतन करना, समझना। (मो.८) अज्झवसदि (व.प्र.ए.) अज्झवसदि मूढदिट्ठीओ। (मो.८) अज्झवसाण न [अध्यवसान] चिंतन, विचार, आत्मपरिणाम, आत्म-स्वभाव। (पंचा.३४, स. ४८) अज्झवसाणादि अण्णभावाणं। (स.४८) -णिमित्त न [निमित्त] चिंतन के फलस्वरूप, चिंतन के कारण, विचार के निमित्त। (स.२६७) अज्झवसाणं (द्वि.ए.स.३९) अज्झवसाणाणि (द्वि.ब.स.१९०) अज्झवसाणेण (तृ.ए.स. २६५) अज्झवसाणेसु (स.ब.स.४०) अज्झवसिद वि [अध्यवसित] अध्यवसाय, जिसका चिंतन किया गया। (स.२६०,२६२) सत्ते जं एवमज्झवसिदं ते। (स.२६१)
अज्झवसिदेण (तृ.ए.स.२६२) अज्झसिय वि [अध्युषित] डुबाया हुआ। (प्रव. ३०) दुद्धज्झसियं
जहा सभासाए। (प्रव.३०) अज्झा सक [अधि+इ] अध्ययन करना, पढ़ना। (स.३१७)
अज्जाइदूण (सं.कृ.स.३१७) सुठुवि अज्झाइदूण सत्थाणि । अज्झावय पुं [अध्यापक] उपाध्याय। (प्रव.४) -वग्ग पुं [वर्ग] उपाध्याय वर्ग, सजातीयसमूह। (प्रव.४) अज्झावयवग्गाणं (च.ब.प्रव.४)
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