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पंचचेलसत्ता। (मो.७९) कोशा, सूती, ऊनी, सन या जूट से निर्मित तथा चमड़े से बने। -त्थी अ [अस्ति] पञ्चास्ति, पंचास्तिकाय। (द.१९) -पयार वि [प्रकार] पांच भेद। (भा.१०४) परमेट्ठी वि [परमेष्ठिन्] परमेष्ठी, अरहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु। (पं.भ.७) -महब्बयजुत्त वि [महाव्रतयुक्त] पांच महाव्रतों से युक्त। (सू.२०, बो.४३)-महव्वयधारि वि[महाव्रतधारिन्]पांच महाव्रत को धारण करने वाला, मुनि। (बो.५) -महब्बयसुद्ध वि [महाव्रतशुद्ध] पांच महाव्रतों से शुद्ध। (बो.७) -वय पुं न [व्रत] पांचव्रत। (चा:२८)विंसकिरिया स्त्री [विंशत्क्रिया पच्चीस क्रियायें। (चा.२८) -विह वि [विध] पांच प्रकार। (भा.८१, बो.३०) -समिदि स्त्री [समिति] पांच समितियां। (चा.२८) ईर्या,भाषा, एषणा, आदान-निक्षेपण और प्रतिष्ठापन।
(चा.३७) पंचम वि [पञ्चम] पांचवा। -य वि [क] पञ्चमक, पांचवा। (चा.३०)-वदपुंन [व्रत] पांचवाव्रत,परिग्रहत्यागवत। निरपेक्ष भावना पूर्वक मान-सम्मान की इच्छा न रखते हुए समस्त परिग्रहों
का त्याग करना परिग्रहत्यागमहाव्रत है। (निय.६०) पंचाणण पुं [पञ्चानन] सिंह, शेर। (पं.भ.४) पंचिंदिय/पंचेंदिय वि [पञ्चेन्द्रिय] पांच इन्द्रियों से युक्त जीव,जाति नाम कर्म का एक भेद। -संवर पुं [संवर] पंचेन्द्रिय सम्बंधी कर्म निरोध। (चा.२९) -संवरण न [संवरण] पञ्चेन्द्रिय निरोध।
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