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[प्रवीचारमाश्रित] शरीर के परिवर्तन को प्राप्त, एक के बाद एक शरीर को प्राप्त। (पंचा.१२०) देहप्पविचारमस्सिदा भणिदा। -मत्त न [मात्र] शरीर मात्र, शरीर प्रमाण, स्वदेह प्रमाण । (पंचा.२७) -विहूण वि [विहीन] शरीर रहित। देहविहूणा सिद्धा। (पंचा.१२०) देहि पुं दिहिन्] आत्मा, जीव। (पंचा.१७,३३,प्रव.६६) तह देहि
देहत्थो। (पंचा.३३) दो त्रि [द्वि] दो, संख्या विशेष। (पंचा.८१, स.१८७) दो किरियावादिणो होइ। (स.८६) दोण्णि (द्वि.ब.स.६५) दोण्हं (च. ष.ब.स.८१, पंचा.१२) -विअ [अपि]दोनों ही (पंचा.८७, १३७,१३९) दो वि य मया विभत्ता। (पंचा.८७) दोस पुं [दोष] 1.दोष, दूषण, दुर्गुण | पुग्गलदव्वस्स जे इमे दोसा। (स.२८६) 2. द्विष] द्वेष, कलह। रायम्हि य दोसम्हि य। (स.२८१) -आवास.[आवास] दोषों का घर। (भा.७१) दोसावासो य इच्छुफुल्लसमो। -कम्म पुंन कर्मन् दोषकर्म, राग द्वेष, मोहकर्म। (बो.२९) हंतूण दोसकम्मे। -विरहिय वि [विरहित] दोषों से रहित,पूर्वापर दोष से रहित |पुव्वापरदोसविरिहियं सुद्धं। (निय.८) दोहग्ग न [दौर्भाग्य] दुष्ट भाग्य, मन्दभाग्य, दुर्भाग्य। (शी.२३).
ध धण न [धन] सम्पत्ति, धन, वैभव। (पंचा.४७, बो.४५, द्वा.३१) धणधण्णवत्थदाणं।
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