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तम्हा दु मारिदो दे दुहाविदो। दुहि वि [दुःखिन्] दुःखी,पीड़ित। (स.३५५) दुहिद वि [दुःखित] दुःखी, पीड़ित। (पंचा.१३७, स.३८९,
प्रव.७५) दूर न [दूर] अनिकट, असमीप। तर वि [तर अत्यन्त दूर, बहुत
दूर। दूरतरं णिव्वाणं। (पंचा.१७०) दूस सक [दूषय] दोष लगाना, दूषित करना। (लिं.१७)
महिलावग्गं परं च दूसेदि। दूसेदि (व.प्र.ए.) दूसिय वि [दूषित] दूषणयुक्त, कलङ्कयुक्त। (भा.१०१) दे सक [दा] देना, प्रदान करना। (स.२२५, बो.१५) देऊ (वि. आ.प्र.ए.भा.१५१) देऊ मम उत्तमं बोहिं । देहूँ (हे.कृ.प्रव. जे.४८) देदि (व.प्र.ए.पंचा.६३, स.२२४) देंति (व.प्र.ब.पंचा. ११०) देव पुंन देव], अमर, सुर। (पंचा.११८,स.२६८,प्रव.६,मो.१,
भा.१३) 2.देवपर्याय,देवगति। (पंचा.१८,१९) देवदन [दैवत] देव, देवता। (प्रव.६९,७४) देवदजदिगुरुपूजासु देवदा स्त्री [देवता] देवता, देव। तेजो उण्हो य देवदा णभसि।
(प्रव.६८) देस पुं दिश] 1.देश, जनपद। (प्रव.चा.४३) 2.प्रदेश, स्थान, क्षेत्र।
(निय.३६) अणंतयं हवे देसा। देसय वि [देशक] उपदेशक, प्ररुपक। (निय.७४) जिणकहियपयत्थदेसया सूरा।
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