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दुच्चित्त न [दुश्चित्त] अशुभमन, आर्तरौद्र ध्यानरूप मन। (प्रव.जे.६६) दुज्जण पुं [दुर्जन] दुष्ट, खल। (भा.१०७) दुज्जय वि [दुर्जय] कठिनता से जीता जाने वाला, दुर्जेय।
(भा.१५५) दुट्ट वि [द्विष्ट] द्वेष युक्त, कुत्सित, दूषित, दुष्ट। (प्रव.जे.६६) दुख न [दुग्ध] दूध,क्षीर। (स.३१७) -ज्झसिय वि [अध्युषित दूध
में डुबाया हुआ। (प्रव.३०) दुद्धज्झसियं जहा सभासाए। दुद्धी स्त्री [दु+धी] दुष्ट बुद्धि, दुर्बुद्धि। (भा.१३८) दुपदेस वि [द्विप्रदेश] दो प्रदेश वाला, दो अवयव वाला। जो परमाणु द्वितीयादि प्रदेशों से रहित, एक प्रदेश मात्र है, स्वयं शब्द से रहित स्निग्ध और रूक्ष गुण धारक द्विप्रदेशादिपने का अनुभव करता है। (प्रव.जे.७१) दुप्पउत्त वि [दुष्प्रयुक्त दुरुपयोग वाला, असत् क्रियाओं में
आसक्ति रखने वाला,असत् क्रियाओं में लीन । (पंची.१४०) दुभाव पुं[दुर्भाव असत्भाव, खोटे परिणाम। (द्वा.८०) दुम पुं [द्रुम] वृक्ष,पेड़। (द.१०)जह मूलम्मि विणढे,दुमस्स परिवार ' पत्थि परिवड्ढी। दुम्म वि [दुर्मत मिथ्यामत, आगम या आप्त से विपरीत
मान्यता। दुम्मएहिं दोसेहिं। (भा.१३८) दुम्मेह वि [दुर्मेधस्] दुर्बुद्धि, दुर्मति, मिथ्यामति वाला। (स.४३) परमप्पाणं वदंति दुम्मेहा।
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