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णिठुर वि [निष्ठुर] कठिन, कठोर, परुष। (भा.१०७) णिण्णेह वि [निःस्नेह] स्नेह रहित, राग रहित। (बो.४९) णित्यार सक [नि+तारय] पार उतारना, तारना। (प्रव. चा.६०)
णित्थारयति लोग। (प्रव. चा.६०) णित्यारग वि निस्तारक] तारने वाला, पार उतारने वाला। पुरिसा
णित्थारगा होति । (प्रव.चा.५८) णिइंड वि [निर्दण्ड] दण्डरहित, अयोग, मन-वचन-काय की
प्रवृत्ति से रहित। (निय.४३) णिहंद वि [निर्द्वन्द्व] कलह रहित, द्वैतपने से रहित।
(निय.४३,मो.८४) णिद्दलण न [निर्दलन] चूर करना, विदारण, मर्दन । (निय.७३) णिदा स्त्री निद्रा] नींद,अठारह दोषों में से एक,निद्रा। (बो.४६,
निय.६,१७९) णिहिट वि [निर्दिष्ट] कथित, प्रतिपादित, निरूपित, दिखलाया
गया। (पंचा.५०, स.४३, प्रव.७, निय.६४, भा.१४७, द.११) णिद्दोस वि [निर्दोष] दोष रहित, शुद्ध। (निय.४३, बो.४८) णि वि [स्निग्ध] स्निग्ध युक्त, चिकना, राग सहित। णिद्धो वा
लुक्खो वा। (प्रव. जे.७१, ७३) -त्तण वि त्व] स्नेहपना। णिद्धत्तणं (द्वि. ए. प्रव. जे. ७२) णिद्धत्तणेण (तृ. ए. प्रव.
जे.७४) णिप्पण्ण वि निष्पन्न निर्मापित, बना हुआ, सिद्ध किया गया। (पंचा.५, ७६)
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