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(२) पश्चिम में सहस्त्रकूट चैत्यालय के पास जिनालय में भ० शान्तिनाथ को प्रतिमाजी पर निम्न लेख भङ्कित है :
"संवत् १७६६ ना चैत्र वदी ५ वार चन्द्रे श्रीमत् काष्ठासंघे नदी तट गच्छ विद्यागणे भट्टारक श्रीराम सेनान्वये तदनुक्रमेण भट्टारक श्री राजकोति तदनुक्रमेण भ० श्री सुमतीकीति तत् अनुक्रमेण हबर न्या तीत बुध गोत्र संधबी श्री रामजी भार्या सिद्वरदेधर्मार्थ श्रीशान्तिनाथ बिबं प्राचार्य श्री प्रताप कीर्ति स्वहस्तेन प्रतिष्ठापित ॥ श्री ।।
(३) पश्चिम में मण्डप सहित मन्दिर के पास भगवान वासु पूज्य की प्रतिमा पर लिखा है :
" संवत् १७६८ वर्षे मगसीर मासे विद्यागणे कन्दकुन्दाचार्यान्वयं भट्टारक श्री सकल कीर्ति स्त्तदन्वये भट्टारक श्री क्षेम कीति तत्पपट्टे भ० नरेन्द्र कीर्ति गुरुपदेशात सुरत वासी गाम मह प्रावॉ सिलाऽज्ञाति साहा दादा मनजी श्रीवासुपूज्य नित्य प्रणमति ।।१।।
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