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१८
श्री कामघट कथानकम्
तेन तस्याः पुण्यशीलमाहात्म्येन स्वभगिनीत्वेनांगीकृत्य सम्यक् प्रकारेणाऽऽश्वास्य च स्वगृह एव सा रक्षिता। ततः शीलशृङ्गारशोभिता सा तत्र कुलाल-समनि सतीत्वपवित्रगुणगणवती शील
तरक्षाहेतोः सुनियमान् धारयामास । तानाह- भर्तमिलनावधि मया भूमौ शयनीयं, शोभार्थ स्नानं न करणीयं, सुन्दरवस्त्राणि त्याज्यानि, पुष्पांगरागविलेपनं त्याज्यं, ताम्बुललवंगलाजातिफलादीनि नास्वाद्यानि वै, शरीरमलमपि विभूषार्थ नापनेयं, सर्वहरितशाकानि त्याज्यानि, पुनदधिदुग्धपक्कानगुडखंडशर्करापायसप्रभृति सरसमाहारं न भोक्ष्ये, किन्तु नीरस एवाहारो मया ग्राह्यः, सदैकभुक्तमेव कार्य, महत्कार्य विना गृहाद् वहिर्न निर्गन्तव्यं, गवाक्षेषु न स्थातव्यं, लोकानां विवाहाद्यपि न वीक्षणीयं, सखोभिः सहापि नालापपुरुषस्त्री-शृङ्गारहास्यविलासनेपथ्यादिका विकथा नैव कार्या, वैराग्यकथैव परिकथनीया परिवर्तनीया च । कर्मकरादिभिः सहाप्यालापसंलापादिकं विशेषतो न कार्य, तर्हि अन्यपुरुषैः सह तु दूरे एव, किं बहुना चित्रस्था अपि पुरुषा नावलोकनीयाः।
___ इसतरह दुःखों से भरी विनयसुन्दरी की बातों को सुनकर दया से पिघला हुआ चित्त वाला परोपकारी उस कुंभारने उसके पुण्य-शील के प्रभाव से अपनी बहन की तरह मान कर और अच्छी तरह तोष-भरोस • देकर अपने घर में ही उसे रखा। उसके बाद शील रूपी आभूषणों से शोभती हुई वह उस कुंभार के घर में सती-धर्म के पवित्र गुणों को धारण करने वाली अपना शीलव्रत की रक्षा के लिए अच्छे नियमों को धारण करने लगी। उसके नियमों को बतलाते हैं-पति के मिलने तक मैं भूमि पर ही सोऊंगी, शोभा के (शृङ्गार के ) लिए स्नान नहीं करूंगी, लहरदार कपड़े नहीं पहनूंगी, फूलों और चन्दन-केसर कस्तूरी आदि को अंग में नहीं लगाऊंगी, पान, लौंग, इलायची और जायफल आदि नहीं खाउंगी, शरीर के मैल भी शोभा बढ़ाने के लिए नहीं हटाऊंगी, सभी हरे ताजे शाक छोड़ दूंगी और दही, दूध, मिठाई-पूड़ी, गुड़, मिसरी, चीनी और खीर आदि नहीं खाऊंगी, बल्कि बिना रस का ही भोजन करूंगी, हमेशा एक ही समय भोजन करूंगी, बहुत जरूरी काम के बिना घर से बाहर नहीं निकलूंगी। झरोखों पर नहीं बैठेंगी। लोगों के विवाह आदि भी नहीं देखूगी, सखी-सहेलियों के साथ भी हंसी-दिल्लगी की बात, पुरुष-स्त्री के शृङ्गार, हंसी-मजाक, विलास और नेपथ्य की बुरी (कामजगाने वाली ) बातें नहीं करूंगी। वैराग्य की कथा ही अच्छी तरह कहूंगी और वैराग्य पालूंगी। नौकर चाकर से भी विशेष हब-गब नहीं करूंगी फिर दूसरे पुरुषों की बात तो दूर रही। अधिक क्या ? चित्र में रहे हुए पुरुषों को भी नहीं देखूगी।
यतःक्योंकि
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