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श्री कल्पसूत्र हिन्दी
तीसरा
व्याख्यान
अनुवाद
भोगाढयो भव, भाग्यवान् भव, महासौभाग्यशाली भव, प्रौठश्रीव, कीर्तिमान् भव, सदा विश्वोपजीवीभव ।1। का अर्थ- हे राजन् ! आप दीर्घायु होवें, वृत्तवान्-यमनियमादि व्रत धारण करनेवाले होंवें, लक्ष्मीमान् होवें, यशस्वी, 5 . बुद्धिमान् होवें, बहुत से प्राणियों की रक्षा करने वाले, महादानी, भोगसंपदावाले, भाग्यवान् होवें, सौभाग्यशाली होवें,
उत्कृष्ट लक्ष्मीवाले, कीर्तिमान और सदाकाल विश्व के समस्त प्राणियों का पालन पोषण करने वाले होवें । इसी प्रकार आशीर्वाद में एक श्लोक और कहा
कल्याणमस्तु शिवमस्तु धनागमोऽस्तु, दीर्घायुरस्तु सुतजन्म समृद्धिरस्तु । वैरिक्षयोऽस्तु नरनाथ ! सदाजयोऽस्तु युष्मत्कुले च सततं जिनभक्तिरस्तु ।1।
अर्थ :- हे राजन् ! हे नरनाथ ! आप का कल्याण हो, आप का श्रेय हो, आप के घर धनागमन हो, आप दीर्घ आयुवाले हों, आपके घर पुत्र का जन्म हो, आप समुद्धिशाली हों, आपके दुश्मनों का नाश हो, आप सदाकाल जयवान् रहें, आप के कुल में निरन्तर जिनेश्वर देव की भक्ति कायम रहे ।
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। तीसरा व्याख्यान समाप्त हुआ ।
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