________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kalassagarsur Gyarmandir
ली
जिस तरह गणधरों ने वर्षाकाल का एक मास और बीस दिन गये बाद पर्युषणा पर्व किया, उसी प्रकार गणधरों के शिष्यों ने एक मास और बीस दिन गये बाद पर्युषणा पर्व किया ।4। जिस तरह गणधरों के शिष्यों ने एक मास
और बीस दिन गये बाद पर्युषणा पर्व किया उसी तरह स्थविरों ने भी एक मास और बीस दिन गये बाद पर्युषणा - पर्व किया 151 जिस तरह स्थविरों ने एक मास और बीस दिन गये बाद पर्युषण पर्व किया उसी तरह आर्यता - 5 से या व्रतस्थिरता से वर्तते हुए आधुनिक श्रमण निग्रंथ विचरते हैं वे भी वर्षाकाल का एक मास और बीस दिन 4 गये बाद पर्यषणा पर्व करते है ।6। जिस तरह आधुनिक समय में श्रमण निर्मथ भी वर्षाकाल का एक मास और
बीस दिन गये बाद चौमासी पर्युषणा पर्व करते हैं उसी तरह हमारे आचार्य और उपाध्याय भी पर्युषणा पर्व करते Xहैं 17। उसी तरह हमारे आचार्य और उपाध्याय भी पर्युषणा पर्व करते हैं उसी तरह हम भी वर्षाकाल का एक मास * और बीस दिन गये बाद चातुर्मास में पर्युषणा पर्व करते हैं । भाद्रपद सुदी 5 से पहले भी पर्युषणा पर्व करना F कल्पता है परन्तु भादवा सुदी 5 की रात्रि उल्लंघन करनी नहीं कल्पती 181
परि- उषणं-पर्युषण-चारों तरफ से आकर एक जगह रहना इसे पर्युषणा कहते हैं । वह पर्युषणा दो प्रकार की - है । एक गृहस्थों को मालूम होने वाली और दूसरी गृहस्थों को मालूम न होने वाली । उसमें गृहस्थों को * यह पर्युषणा गार्षिक पर्वरूप समझना चाहिये ।
)
For Private and Personal Use Only