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श्री कल्पसूत्र
Sil
नोवां
हिन्दी
व्याख्यान
अनुवाद
1114111
प
।। अथ नवम व्याख्यानं ।। अब सामाचारीरूप तीसरा अधिकार कहते हुए पर्युषणा पर्व कब करना चाहिये प्रथम यह बतलाते हैं ।
उस काल और उस समय वर्षाकाल के एक मास और बीस दिन बीतने पर श्रमण भगवान् श्री महावीरने चातुर्मास में पर्युषण पर्व किया है ।1। हे पूज्य ! किस कारण ऐसा कहा जाता है कि वर्षाकाल के एक मास और बीस दिन बीतने पर श्रमण भगवान् श्री महावीर ने चातुर्मास में पर्युषण किया है ? इस प्रकार शिष्य की तरफ से प्रश्न होने पर गुरू उत्तर देने के लिए सूत्र कहते हैं । जिस कारण प्रायः गृहस्थियों के घर चटाई से ढके हुए होते हैं, चूने से धवलित होते हैं, घास वगैरह से आच्छादित किये होते हैं, गोबर आदि से लीपे हुए होते हैं ,चार दिवारों की वृत्ति-बौंडरी करने आदि से सुरक्षित किये हुए होते हैं, विषम भूमि को खोद कर सम किये हुए होते हैं, पत्थर के टुकड़ों से घिस कर कोमल किये हुए होते हैं, सुगन्ध के लिए धूप से वासित किये हुए होते हैं,
परनालारूप पानी जाने के मार्गवाले किये हुए होते हैं, तथा नालियां खुदवाई हुई होती हैं, इस तरह अपने घर । अचित्त किये हुए होते हैं. इसी कारण हे शिष्य ! ऐसा कहा जाता है कि वर्षाकाल का एक मास और बीस दिन बितने P पर श्रमण भगवान् श्री महावीर ने चातुर्मास में पर्युषण पर्व किया है ।2। इसी तरह गणधरों ने भी वर्षाकाल का एक
मास और बीस दिन बीतने पर श्रमण भगवान् श्री महावीर ने चातुर्मास में पर्युषण पर्व किया है । 131
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