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श्री कल्पसूत्र
सातवां
हिन्दी
व्याख्यान
अनुवाद
||12511
अर्हन् कौशलिक श्री ऋषभदेव प्रभु के चौरासी गण और चौरासी ही गणधर हुए । ऋषभसेन आदि चौरासी हजार साधुओं की उत्कृष्ट साधुसंपदा हुई । ब्राह्मी सुन्दरी प्रमुख तीन लाख साध्वियों की उत्कृष्ट साध्वी संपदा हुई। श्रेयांसादि तीन लाख और पांच हजार श्रावकों की उत्कृष्ट श्रावकसंपदा हुई । सुभद्रा आदि पांच लाख चौपन हजार श्राविकाओं की उत्कृष्ट श्राविकासंपदा हुई । केवली नहीं किन्तु केवली के तुल्य चार हजार सातसौ पचास चौदहपूर्वियों की उत्कृष्ट संपदा हुई । नव हजार अवधिज्ञानियों की, बीस हजार केवलज्ञानियों की, बीस हजार -- और छह सौ वैक्रियलब्धिधारियों की, ढाई द्वीप और दो समुद्र के बीच संज्ञी पंचेद्रिय जीवों के मनोगत भाव को जाननेवाले बारह हजार छह सौ पचास विपुळमतियों की, बारह हजार छह सौ पचास ही वादियों की उत्कृष्ट संपदा हुई । अर्हन् कौशलिक श्रीऋषभदेव प्रभु के बीस हजार साधु मोक्ष गये । चालीस हजार साध्वियां मोक्ष गई । अर्हन्
कौशलिक श्रीऋषभदेव प्रभु के अनुत्तर विमान में पैदा होनेवालों और आगामी मनुष्य गति से मोक्ष जानेवाले बीस ॐ हजार नवसौ मुनियों की उत्कृष्ट संपदा हुई ।
अर्हन् कौशलिक श्री ऋषभदेव प्रभु की दो प्रकार की अतकृत्भूमि हुई । युगान्तकृत् और पर्यायान्तकृत् । 'भगवान् के बाद असंख्यात पुरुषयुग मोक्ष गये वह युगान्तकृत्भूमि और प्रभु को केवलज्ञान पैदा होने पर अन्तर्मुहूर्त में मरूदेवी माता अन्तकृत्केवली होकर मोक्ष गई यह पर्यायान्तकृतभूमि समझना चाहिये ।
उस काल और उस समय में अर्हन् कौशलिक श्री ऋषभदेव प्रभु बीस लाख पूर्व कुमारावस्था में
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