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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsur Gyarmandie श्री कल्पसूत्र सातवां हिन्दी व्याख्यान अनुवाद ||114| (000000 के १६ सागर ६५ लाख ८४ हजार वर्ष का अन्तर है; बाद का अन्तर है; तदनन्तर ६८० वर्षे सिद्धान्त लिखे गये। १५० वर्षे सिद्धांत लिखे गये । १६. श्रीचन्द्रप्रभुनी और महावीरस्वामी के ४२ हजार १२. श्रीवासुपूज्यस्वामी और श्रीमहावीरस्वामी के ४६ । ३ वर्ष ८ मास कम १०० कोड़ सागर का अन्तर है; . सागर ६५ लाख ८४ हजार वर्ष का अन्तर है; बाद ६८० तदनन्तर ६८० वर्षे सिद्धान्त लिखे गये । वर्षे सिद्धांत लिखे गये । १७. श्रोसुपार्श्वनाथजी और श्रीमहावीर स्वामी के ४२3 १३. श्रीश्रेयांसनाथजी और श्रीमहावीरस्वामी के १०० हजार ३ वर्ष ८ ।। मास कम एक हजार क्रोड सागर का सागर ६५ लाख ८४ हजार वर्ष का अन्तर है; बाद ९८० अन्तर है; उसके बाद ६८० वर्षे सिद्धांत लिखे गये । वर्षे सिद्धांत लिखे गये । १८. श्रीपद्मप्रभुजी और श्रीमहावीर स्वामी के ४२ १४. श्रीशीतलनाथजी और महावीरस्वामी के ४२ हजार हजार ३ वर्ष || मास कम १० हजार क्रोड सागर का ३ वर्ष ८|| मास कम १ क्रोड सागर का अनतर है; अन्तर है; उसके बाद ६८० वर्षे सिद्धान्त लिखे गये ।। तत्पश्चात् ६८० वर्षे सिद्धांत लिखे गये । १६. श्रीसुमतिनाथजी और महावीर स्वामी के ४२ १५. श्रीसुविधिनाथजी और श्रीमहावीरस्वामी के ४२ हजार ३ वर्ष ८॥ मास कम एक लाख क्रोड़ हजार ३ वर्ष || मास कम १० क्रोड सागर 男網物網 For Private and Personal Use Only
SR No.020429
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh
Publication Year2002
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Paryushan, & agam_kalpsutra
File Size18 MB
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