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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३. श्रीपार्श्वनाथस्वामी के निर्वाण के बाद २५० वर्षे | पल्योपम का चौथा भाग और ६५ लाख ८४ हजार वर्ष का 37 श्रीमहावीर देव का निर्वाण हुवा; बाद ६८० वर्षे सिद्धान्त अन्तर है, पश्चात् ९८० वर्षे सिद्धान्त लिखे गये । लिखे गये । ८. श्री शान्तिनाथजी और श्रीमहावीरस्वामी के पौन" ४. श्रीमुनिसुव्रतस्वामी के और श्रीमहावीरस्वामी के | पल्योपम ६५ लाख ८४ हजार वर्ष का अन्तर है, पश्चात् 5 ११ लाख ८४ हजार वर्ष का अन्तर है; पश्चात् ६८० वर्षे ६८० वर्षे सिद्धान्त लिखे गये । सिद्धान्त लिखे गये । E. श्री धर्मनाथजी और श्रीमहावीरस्वामी के ३ सागर ५. श्रीमल्लिनाथजी और श्रीमहावीरस्वामी के एक ६५ लाख ८४ हजार वर्ष का अन्तर है, पश्चात् ६८० वर्षे हजार क्रोड ६५ लाख ८४ हजार वर्ष का अन्तर है, पश्चात् | सिद्धान्त लिखे गये। ९८० वर्षे सिद्धान्त लिखे गये । १०. श्रीअनन्तनाथजी और श्रीमहावीरस्वामी के ७ ६. श्रीअरनाथजी और श्रीमहावीरस्वामी के एक हजार सागर ६५ लाख ८४ हजार वर्ष का अन्तर है, पश्चात् क्रोड ६५ लाख ८४ हजार वर्ष का अन्तर है, पश्चात् १८० |६० वर्षे सिद्धान्त लिखे गये । वर्षे सिद्धान्त लिखे गये । ११. श्री विमलनाथजी और श्री महावीरस्वामी ७. श्री कुन्थुनाथ और श्रीमहावीरस्वामी के | स000000 For Private and Personal Use Only
SR No.020429
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh
Publication Year2002
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Paryushan, & agam_kalpsutra
File Size18 MB
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