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50000)
साध्वियों की संपदा हुई । नन्द प्रमुख एक लाख उणत्तर हजार (169000) श्रावकों की उत्कृष्ट श्रावक संपदा हुई | महासुव्रत आदि तीन लाख छत्तीस हजार (336000) उत्कृष्ट श्राविकाओं की श्राविका संपदा हुई । केवली न होने पर भी केवली समान चारसौ (400) चौदह पूर्वियों की, पंद्रहसौ (1500) अवधिज्ञानियों की, पंद्रहसौ (1500) वैक्रिय लब्धिधारी मुनियों की, एक हजार (1000) विपुल मतिवाले मुनियों की, आठ सौ (800) वादियों की और सोलहसौ (1600) अनुत्तर विमान में पैदा होनेवाले मुनियों की संपदा हुई । तथा पंद्रहसौ (1500) साधु और तीन हजार (3000) साध्वियाँ मोक्ष गई।
अर्हन् श्रीनेमिनाथ प्रभु की दो प्रकार की अन्तकृत् भूमि हुई । एक युगान्तकृत् भूमि और दूसरी पर्यायान्तकृत - भूमि । प्रभु के बाद आठ पट्टधरों तक मोक्षमार्ग चलता रहा यह युगान्तकृत् भूमि और प्रभु को केवलज्ञान हुए बाद दो वर्ष पीछे मोक्षमार्ग शुरू हुआ सो पर्यायान्तकृत् भूमि जानना चाहिये ।।
- परमात्मा का निर्वाण कल्याणक - उस काल और उस समय अर्हन् श्रीनेमिनाथ प्रभु तीन सौ वर्ष कुमारावस्था में रहे । चौपन दिन छदास्थ * पर्याय पालकर, चौपन दिन कम सातसौ वर्ष केवलीपर्याय पालकर, परिपूर्ण सातसौ वर्ष चारित्र पर्याय
पालकर एवं एक हजार वर्ष का सर्वायु पालकर वेदनीय, आयु. नाम और गोत्रकर्म के क्षय हो जाने पर इसी
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