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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 854 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश अनङ्गसंदीपनमाशु कुर्वते यथा प्रदोषाः शशिचारुभूषणाः । 1/12 चमकते हुए चंद्रमा वाली साँझ के समान जो सुंदरियाँ चंद्रमा के समान सुंदर आभूषणों से सजी हुई बड़ी प्यारी लग रही हैं, वे झट मन में कामदेव जगा देती हैं। विलोचनेन्दीवरवारिबिन्दुभिर्निषिक्तबिम्बाधर चारुपल्लवाः । 2/12 बिंबा फल जैसे लाल और नई सुंदर कोंपलों जैसे कोमल होठों पर अपनी कमल जैसी आँखों से आँसू बरसाती हुई। अन्या प्रियेण परिभुक्तमवेक्ष्य गात्रं हर्षान्विता विरचिताधर चारु शोभा । 4/17 एक दूसरी स्त्री, अपने प्यारे से उपभोग किए हुए शरीर को देख-देखकर मगन होती हुई अपने अधरों को फिर पहले की भाँति सुंदर बना रही है। विपाण्डु तारागण चारुभूषणा जनस्य सेव्या न भवन्ति रात्रयः । 5/4 पीले-पीले तारों से सुंदर सजी हुई रातों में कोई बाहर नहीं निकलता । त्यजति गुरुनितम्बा निम्ननाभिः सुमध्या उषशि शयनमन्या कामिनी चारु शोभा । 5/12 भारी नितंबों वाली, गहरी नाभि वाली, लचकदार कमर वाली और मनभावनी सुंदरता वाली स्त्री प्रातः काल पलंग छोड़कर उठ रही है। कनककमलकान्तैश्चारुताम्राधरोष्ठैः श्रवणतटनिषक्तैः पाटलोपान्त नेत्रैः । 5/13 सुंदर लाल-लाल ओठों वाले, लाल कोरों से सजी हुई बड़ी-बड़ी आँखों वाले और सुन्दर कमल के समान चमकने वाले । सुखाः प्रदोषाः दिवसाश्च रम्याः सर्वं प्रिये चारुतरं वसन्ते । 6/2 साँझें सुहावनी हो चली हैं और दिन लुभावने हो गए हैं, सचमुच सुंदर वसंत में सब कुछ सुहावना लगने ही लगता है। ताम्रप्रवालस्तबकावनम्राश्चूतदुमाः पुष्पित चारु शाखाः । 6/17 लाल-लाल कोपलों के गुच्छों से झुके हुए और सुंदर मंजरियों से लदी हुई शाखाओं वाले आम के पेड़ । For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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