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ऋतुसंहार
825 जिन बादलों में इंद्रधनुष निकल आया है, उन्होंने परदेस में गए हुए लोगों की उन स्त्रियों की सब सुध-बुध हर ली है। अधररुचिरशोभा बन्धुजीवे प्रियाणां पथिकजन इदानीं रोदिति भ्रान्तचित्तः। 3/26 जब परदेस में गए हुए लोग बंधुजीव के फूलों में अपनी प्रियतमा के निचले होठों की चमकती हुई सुंदरता की चमक पाते हैं, तब वे सुध-बुध भूलकर रोने लगते हैं। प्रवासी- [प्र + वस् + णिनि] यात्री, बटोही, परदेशी। न शक्यते द्रष्टुमपि प्रवासिभिः प्रियावियोगानलदग्धमानसैः। 1/10 परदेश में गये हुए जिन प्रेमियों का हृदय अपनी प्रेमिकाओं के बिछोह की तपन से झुलस गया है, उनसे यह देखा नहीं जाता। सविभ्रमैः सस्मितजिह्मवीक्षितैर्विलासवत्यो मनसि प्रवासिनाम्। 1/12 वे सुंदरियाँ बड़ी चटक-मटक और मुस्कुराहट के साथ अपनी चितवन चलाकर परदेसियों के मन में। सुतीक्ष्णधारापतनोग्रसायकैस्स्तुदन्ति चेतः प्रसभं प्रवासिनाम्। 2/4 अपनी तीखी धारों के पैने बाण चलाकर परदेसियों का मन कसमसा रहे हैं। निरस्तमाल्याभरणानुलेपनाः स्थिता निराशाः प्रमदाः प्रवासिनाम्। 2/12 परदेसियों की स्त्रियाँ अपनी माला, आभूषण, तेल, उबटन, आदि सब कुछ छोड़कर गाल पर हाथ धरे बैठी हैं। स्त्रियश्च काञ्चीमणिकुण्डलोज्ज्वला हरन्ति चेतो युगपत्प्रवासिनाम्।2/20 करधनी तथा रत्न जड़े कुंडलों से सजी हुई स्त्रियाँ, ये दोनों परदेस में बैठे हुए लोगों का मन एक साथ हर लेती हैं। अभिमुखमभिवीक्ष्य क्षामदेहोऽपि मार्गे मदनशरनिघातैर्मोहमेति प्रवासी। 6/30 परदेसी एक तो यों ही बिछोह से दुबला-पतला रहता है, तिस पर अपने सामने मार्ग में इन्हें देखकर कामदेव के बाणों की चोट खाकर मूर्छित होकर गिर पड़ता है।
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