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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 812 कालिदास पर्याय कोश जिनके पति परदेस चले गए हैं, वे स्त्रियाँ जब सूखे हुए मार्ग को देखती हैं। अभिमुखमभिवीक्ष्य क्षामदेहोऽपि मार्गे मदनशरनिघातैर्मोहमेति प्रवासी। 6/30 परदेस में पड़ा हुआ यात्री एक तो यों ही बिछोह से दुबला-पतला रहता है, जब मार्ग में ये देखता है तो कामदेव के बाणों की चोट खाकर मूर्च्छित होकर गिर पड़ता है। पर्ण 1. किसलय - [ किञ्चित् शलति - किम् + शल् + क (कयन्) वा० पृषो० साधु०] पल्लव, कोमल अंकुर, कोंपल। कर किसलयकान्तिं पल्लवैर्विदुमाभैरुपहसति वसन्तः कामिनीनामिदानीम्। 6/31 इस समय यह वसंत मूंगे जैसी लाल-लाल कोमल पत्तों की ललाई दिखाकर उन कामिनियों की कोंपलों जैसी कोमल और लाल हथेलियों को जला रहा है। 2. दल - [ दल + अच्] छोटा अंकुर या कोंपल, फूल की पंखुड़ी, पत्ता। परिणतदलशाखानुत्पतन प्रांशुवृक्षान्भ्रमति पवनधूतः सर्वतोऽग्निर्वनान्ते। 1/26 पवन से भड़काई हुई जंगल की आग उन ऊँचे वृक्षों पर उछलती हुई वन में चारों ओर घूम रही है, जिनकी डालियों के पत्ते बहुत गर्मी पड़ने से पक-पककर झड़ते जा रहे हैं। प्रभिन्नवैदूर्यनिभैस्तृणाकुरैः समाचिता प्रोत्थितकन्दलीदलैः। 2/5 छितराई हुई वैदर्य मणि के समान दिखाई देने वाली घास के कोमल अंकुरों से भरी हुई, ऊपर निकले हुए कंदली के पत्तों से लदी हुई। कुवलयदलनीलैरुन्नतैस्तोयननैर्मृदुपवनविधूतैर्मन्दमन्दं चलद्भिः । 2/23 कमल के पत्तों के समान साँवले, पानी के भार से झुक जाने के कारण और धीमे-धीमे पवन के सहारे धीरे-धीरे चलने वाले। 3. पत्र - [ पत् + ष्ट्रन्] पत्ता, फूल का पत्ता। नितान्तनीलोत्पलपत्रकान्तिभिः क्वचित्प्रभिन्नाञ्जनराशिसंनिभैः। 2/2 For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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