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कालिदास पर्याय कोश छोटे से कल्पवृक्ष के झुके हुए गुच्छे खड़े-खड़े ही हाथ से तोड़े जा सकते हैं। हस्तन्यस्तं मुखमसकलव्यक्ति लम्बालकत्वाद्। उ० मे० 24 गालों पर हाथ धरने से और बालों के मुंह पर आ जाने से। संभोगान्ते मम समुचितो हस्तसंवाहनानां। उ० मे0 38 जिसे संभोग कर चुकने पर अपने हाथ से दबाया करता था।
हार 1. दाम - [दो + मनिन्] फूलों का गजरा, हार।
आद्ये बद्धा विरहदिवसे या शिखा दाम हित्वा। उ० मे0 34 बिछुड़ने के दिन से ही उसने अपने जूड़े की माला खोलकर जो इकहरी चोटी
बाँध ली थी। 2. हार - [ह + घञ्] मोतियों की माला, माला, हार। हास्तरलगुटकान्कोटिशः शङ्खशुक्तीः। पू० मे० 34 कहीं तो करोड़ों मोतियों की मालाएँ सजी हुई दिखाई देगी, कहीं करोड़ों शंख और सीपियाँ रखी हुई मिलेंगी। मुक्ताजालैः स्तनपरिसरच्छिन्नसूत्रैश्च हारैः। उ० मे० 11 स्तनों को घेरे हुए हारों से टूटे हुए मोती भी इधर-उधर बिखर जाते हैं।
हृदय 1. चित्त - [चित् + क्त] मन, हृदय, बुद्धि।
गम्भीरायाः पयसि सरितश्चेतसीव प्रसन्ने। पू० मे० 44
गंभीरा नदी के उस जल में, जो चित्त (हृदय) जैसा निर्मल है। 2. हृदय - [ह + कयन्, दुक् आगमः] दिल, आत्मा, मन, वक्षः स्थल।
सद्यः पाति प्रणयि हृदयं विप्रयोगे रुणाद्धि। पू० मे०१ जो हृदय अपने प्रेमियों से बिछुड़ने पर एक क्षण नहीं टिके रह सकते। मत्सङ्ग वा हृदयनिहितारम्भास्वादयन्ती। उ० मे० 27
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