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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 748 1. www. kobatirth.org 2. कुर्वन्कामं क्षणमुखपट प्रीतिमैरावतस्य । पू० ऐरावत के मुँह पर थोड़ी देर कपड़े सा छाकर उसका मन बहला देना । 2. सुरगज- [ सुर+ गजः] ऐरावत, देवों का हाथी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश मे० 66 तस्याः पातुं सुरगज इव व्योम्नि पश्चार्द्धलम्बी । पू० मे० 55 वहाँ पर तुम दिग्गजों (ऐरावत) के समान अपना पिछला भाग ऊपर उठाकर और आगे का भाग झुकाकर । सुरत संभोग - [सम् + भुज् + घञ् ] रतिरस, मैथुन, सहवास । मत्संभोगः कथमुपनयेत्स्वप्नजोऽपीति निद्राम् । उ० मे० 33 यह सोचकर अपनी आँखों में नींद बुला रही होगी कि किसी प्रकार स्वप्न में ही प्रियतम से संभोग हो जाए। संभोगान्ते मम समुचितो हस्तसंवाहनानां । उ० मे० 38 जिसे मैं संभोग कर चुकने पर अपने हाथ से दबाया करता था । सुरत - [ सु + रत] संभोग, मैथुन, रतिक्रिया । यत्र स्त्रीणां हरति सुरतग्लानिमङ्गानुकूलः । पू० मे033 जहाँ स्त्रियों की संभोग की थकावट अंगों के अनुसार सेवा कर दूर कर रहा होगा । अङ्गग्लानिं सुरतजनितां तन्तुजालावलम्बाः । उ० मे० 9 झालरों में लटके हुए (मणियों से टपकता हुआ जल) उन स्त्रियों की संभोग की थकावट दूर करता है। For Private And Personal Use Only सूर्य 1. आदित्य - [ अदिति + ण्य] सूर्य, अदिति का पुत्र । अत्यादित्यं हुतवहमुखे संभृतं तद्धि तेजः । पू० मे0 47 सूर्य से भी बढ़कर जलता हुआ अपना जो तेज अग्नि में डाल कर इकट्ठा किया था, उसी तेज से स्कन्द का जन्म हुआ है।
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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