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रघुवंश
हाथियों के कानों के डुलने से ऐसी धूल चारों ओर फैल गई, मानो सूर्य को
कपड़े से ढक दिया गया हो। 5. गज -[गज्+अच्] हाथी।
रजोभिः स्यंदनोद्भूतैर्गजैश्च घन संनिभैः। 4/29 पृथ्वी पर चलती हुई सेना के काले-काले हाथी बादल जैसे लग रहे थे, जिससे पृथ्वी भी आकाश जैसी लगने लगी। प्रतिजग्राह कलिंगस्तमस्त्रैर्गज साधनः। 4/40 कलिंग नरेश ने हाथियों की सेना लेकर और अस्त्र बरसाकर रघु का सामना किया। स सैन्य परिभोगेण गजदान सुगंधिना। 4/45 राजा रघु के सैनिक जी भरकर नहाए और जल को मथ दिया। फिर हाथियों के नहाने से मद की गंध भी आने लगी। गजालान परिक्लिष्टैरखोटैः सार्धमानताः। 4/69 हाथियों के बाँधने से जैसे वहाँ के अखरोट की डालियाँ झुक गई थीं, वैसे ही वे राजा भी रघु के आगे झुक गए। गजवर्ज़ किरातेभ्यः शशंसुर्देवदारवः। 4/76 (4/76) देवदार की ऊँची-ऊँची शाखाओं पर हाथियों के गले की साँकली से बनी रेखाओं को देखकर ही जंगली किरातों ने हाथियों की ऊँचाई का अनुमान किया। निधीत दानामल गंड भित्तिर्वन्यः सरितो गज उन्ममज्ज। 5/43 एक जंगली हाथी नर्मदा के जल में से झूमता हुआ निकला। जल में स्नान करने के कारण उसके माथे के दोनों ओर का मद धुल गया था। यस्य क्षरत्सैन्यगजच्छलेन यात्रासु यातीव पुरो महेन्द्रः। 6/54 उस समय इनके आगे चलने वाले मतवाले हाथी ऐसे लगते हैं, मानो हाथियों का वेश बनाकर स्वयं महेन्द्र पर्वत चला आ रहा हो। यंता गजस्याभ्यपतद् गजस्थं तुल्य प्रति द्वन्द्वि बभूव युद्धम्। 7/37 हाथी-सवार हाथी-सवारों पर टूट पड़े इस प्रकार बराबर जोर की लड़ाई होने लगी। आधो रणानां गजसंनिपाते शिरांसि चक्रैर्निशितैः क्षुराग्रैः। 7/46
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