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रघुवंश
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क्षय 1. राजयक्ष्मा :-[राज् + कनिन् + यक्ष्मन्] क्षयरोग, तपेदिक।
राजयक्ष्मपरिहानिराययौ कामयान समवस्थया तुलाम्। 19/50
यक्ष्मा रोग से सूखकर वह ठीक विरहियों के समान दिखाई देने लगा। 2. क्षय :-[क्षि + अच्] तपेदिक, रोग।
राज्ञि तत्कुलमभूक्षयातुरे वामनार्चिरिव दीप भाजनम्। 19/51 राजा के क्षय रोग से रोगी होने पर सूर्य कुल ऐसा रह गया, जैसे तनिक सी बची हुई दीपक की लौ हो।
क्षीर
1. औधस्यम् :-[ऊधस् + ष्यञ्] दूध, दूध (औड़ी) से प्राप्त।
औधस्यमिच्छामि तवोप भुक्तुं षष्ठांशमुफ् इव रक्षिताः। 2166 मैं उसी प्रकार तुम्हारा दूध ग्रहण करना चाहता हूँ, जैसे मैं राज्य रक्षा करके
उसका छठा भाग ग्रहण करता हूँ। 2. क्षीर :-[घस्यते अद्यसे घस् + ईरन्, उपघालोपः, घस्य ककारः षत्वं च] दूध।
पृषतैर्मन्दरोद्भुतः क्षीरोर्मय इवाच्युतम्। 4/27 जैसे मंदराचल से मथते समय, क्षीर सागर की लहरों की उछलती हुई उजली फुहारें विष्णु भगवान् के ऊपर बरस रही थीं। सप्तच्छदक्षीर कटुप्रवाहमसह्यमाघ्राय मदं तदीयम्। 5/48 जब अज के हाथियों ने उसके छितवन के दूध के समान कसैले मद की गंध
पाई, तब वे। 3. दुग्ध :-[दुह + क्त] दूध।
दुग्ध्वा पयः पत्रपुटे मदीयं पुत्रोपुभुक्ष्वेति तमादि देश। 2/65 नंदिनी ने कहा कि मैं तेरी इच्छा पूर्ण करूँगी और यह आज्ञा दी कि तू एक दोने
में मेरा दूध दूहकर पी ले। 4. पयस :-[पय + असुन्, पा + असुन, इकारादेश्च] पानी, दूध।
न केवलानां पयसां प्रसूतिमवेहि मां कामदुधां प्रसन्नाम्। 2/6 तुम मुझे केवल दूध देने वाली साधारण गौ न समझना, मैं प्रसन्न हो जाऊँ, तो मुझसे जो माँगा जाय, वही फल दे सकती हूँ।
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