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कालिदास पर्याय कोश
कौलीन 1. कौलीन :-[कुल+[खम्] खानदानी, कुलीन, लोकापवाद, कुत्सा, दुराचरण।
कौलीनमात्माश्रयमाचचक्षे तेभ्यः पुनश्चेदमुवाच वाक्यम्। 14/36 वे भी अपने भाई की दशा देखकर सन्न रह गए, अपने भाइयों से राम बोले। कौलीन भीतेन गृहान्निरस्ता न तेन वैदेह सुता मनस्तः। 14/84
उन्होंने सीताजी को अपनी अच्छा से नहीं वरन कलंक के डर से ही छोड़ा था। 2. परीवाद :-[परि+वद्+घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः] कलंक, निन्दा, बदनामी।
तामेक भार्यां परीवादभीरोः साध्वीमपि त्यक्तवतो नृपस्य। 14/86
राजा ने कलंक के डर से अपनी रानी सीता को सती होते हुए भी छोड़ दिया। 3. लोकवाद :-[लोक्यतेऽसौ लोक+ घञ्+वादः] अफवाह, सामान्य चर्चा ।
मां लोकवाद श्रवणादहासीः श्रुतस्य किं तत्सदृशं कुलस्य। 14/61 इस समय अपजस के डर से जो आपने मुझे छोड़ दिया है, वह क्या उस प्रसिद्ध
कुल को शोभा देता है, जिसमें आपने जन्म लिया है। 4. लोकापवाद :-[लोक्यतेऽसौ लोक+घञ्+अपवादः] सार्वजनिक निन्दा।
अवैमि चैनामनघेति किंतु लोकापवादो बलवान्मतो मे। 14/40 मैं जानता हूँ कि वह निर्दोष है पर बदनामी सत्य से भी अधिक बलवती होती है।
क्रंद 1. क्रंद :- रोना, क्रंदन करना, विलाप करना।
सा मुक्त कंठं व्यसनातिभाराच्चक्रंदविग्ना कुररीव भूयः। 14.68 विपत्ति के भार से व्याकुल होकर सीता जी, डरी हुई कुररी के समान डाढ़ मार-मारकर रोने लगीं। अवतीर्यांकशय्यास्थं द्वारि चक्रंद भूपतेः। 15/42
राजा की ड्योढी पर गोद से उतारकर यह कह कहकर फूट-फूटकर रोने लगा। 2. रुद् :-क्रंदन करना, रोना, विलाप करना, शोक मनाना।
तस्याः प्रपन्ने सम दुःख भावमत्यंतभासीदुदितं वनेऽपि। 14/69 सीताजी के दुःख से दुखी होकर सारा जंगल रोने लगा।
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