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कुश
1. कुश :- [ कु+ शी+ड] राम के बड़े पुत्र का नाम ।
यत्कुंभ योनेरधिगम्य रामः कुशाय राज्येन समं दिदेश । 16 / 72
राम को अगस्त्य ऋषि ने जो जैत्र आभूषण दिया था, उसे राम ने राज्य के साथ ही कुश को दे दिया था ।
2. मैथिल
कुश का विशेषण |
इत्थं नागस्त्रिभुवन गुरो रौरसं मैथिलीयं लब्ध्वा बन्धुं तमपि च कुशः चमं तक्षकस्य । 16/88
इस प्रकार नागराज कुमुद ने त्रिलोकीनाथ विष्णु के सच्चे पुत्र कुश को अपना संबंध बनाकर गरुड़ से डरना छोड़ दिया, कुश ने भी नागराज तक्षक के ।
केतु
कालिदास पर्याय कोश
1. केतन :- [ कित् + ल्युट् ] पताका, झंडा, घर, आवास ।
कुसुमचापतेजयदंशुभि हिमकरो मकरोर्जितकेतनम् । 9 / 39
उसकी ठण्डी किरणों से कामदेव के फूलों के धनुष को मानो और भी अधिक बल मिल गया हो ।
2. केतु : - [ चाय् + तु, की आदेश: ] पताका, झंडा ।
अहिताननलिोद्भूतैस्तर्जयन्निव केतुभिः । 4/28
वायु के लगने से सेना की जो झंडिया फरफरा रही थीं, वे मानो शत्रुओं को उँगली उठा-उठाकर डाट रही थीं।
निवेशयामास विलंघिताध्वा क्लान्तं रजोधूसरकेतु सैन्यम् । 5/42
अपनी उस थकी हुई सेना का पड़ाव डाला, जिसकी पताकाएँ मार्ग की धूल लगने से मटमैली हो गई थीं।
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यैः सादिता लक्षित पूर्वकेतूंस्तांनेव सामर्षतया निजघ्नुः । 7/44
वे अपने सारथियों को बहुत बुरा-भला कहन लगे और जिनकी मार से वे घायल हुए थे, उन्हें रथ के झण्डों से पहचान-पहचान कर मारने लगे । सशोणितैस्तेन शिलीमुखाग्रैर्निक्षेपिताः केतुषु पार्थिवानाम् । 7/65 उन मूर्च्छित पड़े हुए राजाओं की ध्वजाओं पर रुधिर से सने बाणों की नोकों से यह लिख दिया गया।