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रघुवंश
वैसे ही वसंत की शोभा से लदी हुई ताल की कमलिनी के आसपास भरे और हंस भी मंडराने लगे ।
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अभ्यपद्यत स वासितासखः पुष्पिताः कमलिनीरिव द्विपः । 19/11 हाथी जैसे खिली हुई कमलनियों की गंध से भरे सरोवर में हथिनियों के साथ पैठता है ।
2. नलिनी : - [ नल् + इनिङीप् ] कमल का पौधा, कमलों का समूह । शरत्प्रमृष्टाम्बुधरो परोधः शशीव पर्याप्तकलो नलिन्याः । 6/44 जैसे खुले आकाशवाली शरद ऋतु का मनोहर चन्द्रमा भी कमलिनी को नहीं
भाता ।
हिमसेवक विपत्तिरत्र मे नलिनी पूर्व निदर्शनंमता । 8/45
मैंने पहले ही देख लिया है कि नलिनी को नष्ट करने के लिए पाला ही बहुत होता है।
3. पद्मिनी :- [ पद्म+ इनि + ङीप् ] कमल का पौधा, कमलों का समूह । स्कंधावालग्नोद्धृत पद्मिनीकः करेणुभिर्वन्य इव द्विपेन्द्रः । 16/68 जैसे कमलिनियों को उखाड़कर कंधे पर लटकाए हुए हाथी, हथनियों के साथ जलक्रीड़ा करता है।
कर
1. कर :- [कृ+अप्] लगान, शुल्क, भेंट, हाथी की सूँड, हाथ । अपरान्त महीपाल व्याजेन रघवे करम् । 5 / 58
पश्चिम के राजाओं ने जो रघु के अधीन होकर उन्हें कर दिया था ।
2. बलि : - [ बल् + इनि] आहुति, भेंट चढ़ावा, कर, लगान । प्रजानामेव भूत्पर्थं स ताभ्यो बलिमग्रहीत् । 1 / 18
राजा दिलीप भी अपनी प्रजा से जितना कर लेते थे, वह सब प्रजा की भलाई में ही लगा देते थे ।
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करेणु
1. करेणु : - [कृ + एणु अथवा के मस्तके रेणुस्य तारा०] हाथी, हथिनी । चित्रद्विपाः पद्मवनावतीर्णाः करेणुभिर्दत्तमृणालभंगाः । 16/16
जिन चित्रों में ऐसा दिखाया गया था कि हाथी कमल के ताल में उतर रहे हैं और हथिनियाँ उन्हें सूँड से कमल की डंठल तोड़कर दे रही हैं।