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रघुवंश
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वह ब्रह्मास्त्र चढ़ाया जो कभी व्यर्थ ही नहीं जाता, वह ऐसा था मानो सीता के शोकरूपी काँटों को निकालने की अचूक औषधि हो ।
कट
1. कट :- [ कट्+अच्] हाथी का गंडस्थल ।
कंडू मानेन कटं कदाचिद्वन्य द्विपेनोन्मथिता त्वगस्य । 2/37
एक बार एक जंगली हाथी आकर इससे रगड़, रगड़कर अपनी कनपटी खुजलाने लगा, उससे इसकी थोड़ी छाल छिल गई।
बभूव तेनातिरां सुदुः सहः कट प्रभेदेन करीव पार्थिवः । 3 / 37
जैसे मद बहने के कारण हाथी प्रचण्ड हो जाता है, वैसे ही प्रतापी रघु की सहायता से दिलीप भी इतने शक्तिशाली हो गए कि उनके शत्रु उनसे काँपने लगे ।
तुल्यंर्गधिषु मत्तेभकटकेषु फलरेणवः । 4/47
हाथियों के उन गालों पर चिपक गए जहाँ उन्हीं के गंध जैसी मद की गंध निकल रही थी ।
कटेषु करिणां पेतुः पुंनागेभ्यः शिलीमुखाः । 4/57
नागकेशर के फूलों पर बैठे हुए भौरें हाथियों के कपालों पर आ टूटे ।
भेजे भिन्न कटैर्नागैरन्यानुपरुरोध यैः । 4/83
उन्हीं मदमत्त हाथियों को उसने इन्द्र से भी अधिक पराक्रमी रघु को दे दिया । 2. कपोल : - [ कपि + ओलच्] गाल ।
तस्यैक नागस्य कपोलभित्त्योर्जलावगाहक्षणमात्रशान्ता । 5 / 47 यद्यपि नदी में नहाने से उस हाथी के माथे का सब मद धुल चुका था । 3. गंड : - [ गण्ड्+अच्] गाल, हाथी की कनपटी ।
निर्धौतदानामल गण्डभित्तिर्वन्यः सरितो गज उन्ममज्ज । 5/43
जल में स्नान करने के कारण हाथी के माथे के दोनों ओर का मद धुल गया था। कपीन्द
1. कपीन्द्र : - [ कम्प्+इ, न लोपः+ इन्द्र:] बंदरों का मुखिया, सुग्रीव का विशेषण, हनुमान का विशेषण ।
कुंभकर्णः कपीन्द्रेण तुल्यावस्थः स्वसुः कृतः । 12/80
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