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रघुवंश 4. विज :-[वि+हन्+क] बाधा, रुकावट, अड़चन।
प्रतिशुश्राव काकुत्स्थस्तेभ्यो विघ्नपति क्रियाम्। 15/4 राम ने उनके विघ्न दूर करने की प्रतिज्ञा की।
आई
1. आर्द :-[अर्द+र+दीर्घश्च] गीला, हरा, ताजा, नया, मृदु, कोमल।
स्वेद्यनुविद्धानखक्षतांके भूयिष्ठ संदृष्टशिखं कपोले। 16/48 स्त्रियों के गालों पर प्रियतम के हाथों से बने नखक्षतों पर पसीने की बूंदे फैल जाती थीं। स्नानार्दमुक्तेष्वनुधूपवासं विन्यस्त सायंतनमल्लिकेषु। 16/50 जो स्नान करने पर खोल दिए जाते थे और जिनमें शाम को फूलने वाली चमेली
के सुगंधित फूल खोंस लिए जाते थे। 2. नव :-[नु+अप्] नया, ताजा, नवीन।
विडंब्यमाना नवकंदलैस्ते विवाह धूमारुणलोचनं श्रीः। 13/29 उससे कंदलियो की कलियाँ खिल उठी और वैसी ही लाल-लाल हो गईं, जैसे विवाह के सामय हवन का धुआँ लगने से तुम्हारी आँखें लाल हो गई थीं।
आश्रम 1. आश्रम :-[आ+श्रम्+घञ्] पर्णशाला, संन्यासियों का आवास या कक्ष।
तौ दंपती वशिष्ठस्य गुरोर्जग्मतराश्रमम्। 1/35 वे दोनों पति-पत्नी अपने कुलगुरु वशिष्ठ जी के आश्रम की ओर चले। अभ्युत्थिताग्नि पिशुनैर तिथीनाश्रमोन्मुखान्। 1/53 उस धुएँ ने आश्रम की ओर आते हुए अतिथियों को भी पवित्र कर दिया। पप्रच्छ कुशलं राज्ये राज्याश्रममुनिं मुनिः। 1/58 मनि वशिष्ठ जी ने राजर्षि दिलीप से पूछा कि आपके राज्य में सब कुशल तो है। सिक्तं स्वयमिव स्नेहा द्वन्ध्यमाश्रम वृक्षकम्। 1/70 जैसे अपने हाथों से प्रेम से सींचे हुए आश्रम के वृक्ष में फल लगता न देखकर बड़ा दुःख होता है। तदन्विता हैमवताच्च कुक्षेः प्रत्याययावश्रमश्रमेण। 2/67
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