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कालिदास पर्याय कोश हेमपात्रगतं दो मादधानः पयश्चरुम्। 10/51 उस पुरुष के हाथ में खीर से भरा हुआ सोने का कटोरा था। हेमपक्षप्रभाजालं गगने च वितन्वता। 10/61 अपने सोने के पंखों से प्रकाश फैलाता हुआ आकाश में उड़ाकर हमें ले जा रहा
तत्रैनं हेमकुम्भेषु संभृतैस्तीर्थवारिभिः। 17/10 राजा अतिथि को सोने के घड़ों में भरे हए तीर्थों के जल से नहलाया।
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