________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
470
कालिदास पर्याय कोश प्रत्यार्पितः शत्रु विलासिनी नामुन्मुच्य सूत्रेण विनैव हाराः। 6/28 मानो इन्होंने शत्रुओं की स्त्रियों के गले से मोतियों के हार उतार कर उन्हें बिना डोरे वाले हार पहना दिए हों। पाण्ड्योऽयमंसार्पितलम्बहारः क्लुप्ताङ्गरागो हरिचन्दनेन। 6/60 ये पांड्य देश के राजा हैं, जिनके कंधे पर बड़ा-सा हार लटका हुआ है और जिनके शरीर पर हरिचंदन का लेप किया हुआ है। हृद्यमस्य भयदापि चाभवद्रलजातमिव हारसर्पयोः। 11/68 इसलिए जैसे गले के हार और सर्प दोनों में रहने वाली मणि आनंद भी देती है और भय भी।
हेम
1. कनक :-[कन् + वुन्] सोना।
कन्याकुमारौ कनकासनस्थावार्द्राक्षतारोपणमन्वभूताम्। 7/28 फेरे हो चुकने पर सोने के सिंहासन पर बैठे हुए वर वधू के ऊपर बारी-बारी से गीले अक्षत छोड़कर आशीर्वाद दिए। कनकयूपसमुच्छ्रयशोभिनो वितमसा तमसासरयूतटाः। 9/20 अश्वमेध यज्ञ करते समय तमसा और सरयू के किनारे सोने के यज्ञ-स्तंभ खड़े
कर दिए। 2. काञ्चन :-[काञ्च + ल्युट्] सोना, प्रभा, दीप्ति, संपत्ति, धन-दौलत ।
त्वमात्मनसतुल्यममुं वृष्णीव रत्नं समागच्छतु काञ्चनेन। 6/79 तुम इनसे विवाह कर लो, जिसमें रत्न और सोने का ठीक-ठीक मेल हो जाए। रघुराप्यजयद्गुणत्रयं प्रकृतिस्थं समलोष्ठकाञ्चनः। 8/21 दूसरी और मिट्टी और सोना दोनों को बराबर समझने वाले रघु ने भी प्रकृति के सत्त्व, रज और तम इन तीन गुणों को जीत लिया। निवर्तयामासुर मात्यवृद्धास्तीर्थाहतैः काञ्चनकुम्भतोयैः। 14/7 उस अभिषेक को सोने के घड़ों में भरे तीर्थों से लाए हुए जल से राम को नहलाकर बूढ़े मंत्रियों ने पूरा कर दिया। वर्णोदकैः काञ्चनशृङ्ग मुक्तैस्तमायताक्ष्यः प्रणया दसिञ्चन्। 16/70 वे स्त्रियाँ सोने कि पिचकारियों से रंग छोड़-छोड़कर उन्हें भिगोने लगीं।
For Private And Personal Use Only