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रघुवंश
467 राम कहलाने वाले विष्णु भगवान्, समुद्र को देखकर सीताजी से एकांत में
बोले। 19. हरिण्याक्षरिपु :-[ह + इनन् + अक्ष + रिपुः] विष्णु का विशेषण, विष्णु।
अंशे हरिण्याक्षरिपोः स जाते हिरण्यनाभे तनये नयज्ञः। 18/25 उस नीतिज्ञ विश्वसह को हिरण्यनाभ नामक पुत्र उत्पन्न हुआ जो साक्षात विष्णु का अंश था।
हरि (ii)
1. कपि :-[कम्प् + इ, न लोपः] लंगूर, बन्दर।
कपयश्चेरुरार्तस्य रामस्येव मनोरथाः। 12/59 जैसे राम का मन सीताजी की खोज में भटकता था, वैसे ही वानर भी सीताजी की खोज करने लगे। तस्यै भर्तुरभिज्ञानमङ्गुलीयं ददौ कपिः। 12/62
उनके पास जाकर हनुमान वानर ने राम की अंगूठी उन्हें दी। 2. प्लवग :-[प्लु + अच् + गः] बन्दर।
स सेतुं बन्धयामास प्लवगैर्लवणाम्भसि। 12/70 राम ने वानरों को लगाकर समुद्र पर तो पत्थरों का धवल पुल बनवाया। रण: प्रववृते तत्र भीमः प्लवंगरक्षसाम्। 12/72
वहाँ वानरों और राक्षसों का ऐसा भयंकर युद्ध होने लगा कि। 3. वानर :-[वानं वनसंबंधि फलादिकं राति गृह्णति :-रा + क, वा विकल्पेन
नरो वा] बंदर, लंगूर। द्वितीयं हेम प्राकारं कुर्वद्भिरिव वानरैः। 12/71 वानरों से घिरी हुई लंका ऐसी जान पड़ती थी, मानो लंका के चारों ओर सोने का एक दूसरा परकोटा बन गया हो। इतराण्यपि रक्षांसि पेतुर्वानरकोटिषु। 12/82 और भी बहुत से राक्षस करोड़ों वानरों की सेना के बीच में। वन्यैः पुलिन्दैरिव वानरैस्ताः क्लिश्यनत उद्यान लता मदीयाः। 16/19 उद्यान की उन मेरी प्यारी लताओं को जंगली मलेच्छों के समान उत्पाती बंदर झकझोर डालते हैं।
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