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रघुवंश
453 उस क्षेमधन्वा को भी इंद्र के समान पुत्र हुआ, जो युद्ध में सेना के आगे-आगे
चलता था। 3. दण्ड :-[दण्ड् + अच्] सेना, सैन्यव्यवस्था का एक रूप, व्यूह।
तस्यदण्डवतो दण्डः स्वदेहान्न व्यशिष्यत। 17/62 युद्ध करने में समर्थ जो उनकी सेना थी, उसे दण्डधर अतिथि अपने उस शरीर
के समान ही प्यार करते थे। 4. ध्वजिनी :-[ध्वज + इनि + ङीप] सेना।
मत्स्यध्वजा वायुवशाद्विदीणैर्मुखैः प्रवृद्धध्वजिनीरजांसि। 7/40
वायु के कारण सेना की मछली के आकार वाली झंडियों के मुँह खुल गए थे। 5. पताकिनी :-[पताका + इनि + ङीप्] सेना।
रथवमरजोऽप्यस्य कुत एव पताकिनीम्। 4/82 जब रथ के पहियों की धूल से ही वह बहुत घबरा गया, तो फिर सेना से वह
लड़ता ही क्या। 6. बल :-[बल् + अच्] सेना, चमू, फौज, सैन्यदल।
परेण भग्नेऽपि बले महौजा ययावजः प्रत्यरिसैन्यमेव। 7/55 यद्यपि शत्रुओं ने अज की सेना को मारकर भगा दिया था, पर अज शत्रु की सेना में बढ़ते ही चले गए। कुल ध्वजस्तानि चलध्वजानि निवेशयामास बलीबलानि। 16/37 फहराती हुई ध्वजा वाली अपनी सेना को ठहरा दिया। यो नड्वलानीव गजः पेरषां बलान्यमृद्नान्नलिना भवक्तः। 18/5 (उस कमल के समान सुंदर मुख वाले राजा ने) शत्रुओं के बल को वैसे ही तोड़
डाला, जैसी हाथी नरकट के गढे को तोड़ डालता है। 7. वरूथिनी :-[वरूथ + इनि + ङीप्] सेना। चिल्किशु शतया वरूथिनीमुत्तरा इव नदीरयाः स्थलीम्। 11/58 जैसे बढ़ी हुई नदी की धारा आसपास की भूमि को उजाड़ देती है, वैसे ही एक दिन मार्ग में सेना के ध्वजारूपी वृक्षों को। अप्रबोधाय सुश्वाप गृधच्छाये वरूथिनी। 12/50 वह राक्षसों की सेना गिद्धों के पंखों की छाया में सदा के लिए सो गई। रामं पदातिमालोक्य लंकेन च वरूथिनम्। 12/84
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