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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 438 कालिदास पर्याय कोश स पौर कार्याणि समीक्ष्य काले रेमे विदेहाधिपतेर्दुहित्रा। 14/24 वे ठीक समय पर प्रजा का काम देखभाल कर सीताजी के साथ रमण भी करते थे। 8. विदेहाधिपसुता :-सीता का विशेषण। बभौ तमनुगच्छन्ती विदेहाधिपतेः सुता। 12/26 उनके पीछे-पीछे चलने वाली सीता साक्षात् लक्ष्मी ही लगती थीं। 9. वैदेहसुता :-सीता। त्यक्ष्यामि वैदेहसुतां पुरस्तात्समुद्रनेमिं पितुराज्ञयेव। 14/39 मैं सीता को वैसे ही छोड़ दूंगा, जैसे पिता की आज्ञा से मैंने राज्य छोड़ दिया था। 10. वैदेही :-[विदेह + अण् + ङीप्] सीता। रामोऽपि सह वैदेह्या वने वन्येन वर्तयन्। 12/20 उधर राम भी सीता के साथ वन में कंद मूल खाते हुए युवावस्था में ही व्रत करने लगे। इतस्ततश्च वैदेही मन्वेष्टुं भर्तृचोदिताः। 12/59 वैसे ही वानर भी इधर-उधर भटक कर सीताजी की खोज करने लगे। हृदयं स्वयमायातं वैदेह्या इव मूर्तिमत्। 12/64 राम को वैसा ही आनंद हुआ, मानो साक्षात् सीताजी का हृदय ही अपने आप चला आया हो। वैदेहि पथ्यामलयाद्विभक्तं मत्सेतुना फेनिलमम्बुराशिम्। 13/2 हे सीते! इस फेन से भरे हुए समुद्र को तो देखो जिसे मेरे बनाए हुए पुल ने मलय पर्वत तक दो भागों में बाँट दिया है। अयोधनेनाय इवाभितप्तं वैदेहिबन्धोर्हदयं विदद्रे। 14/33 इस भीषण कलंक को सुनकर सीतापति राम का हृदय वैसे ही फट गया, जैसे घन की चोट से तपाया हुआ लोहा फट जाता है। तन्मा व्यथिष्टा विषयान्तरस्थं प्राप्तासि वैदेहि पितुर्निकेतम्। 14/72 बेटी सीता! यहाँ भी तुम अपने पिता का घर समझो और शोक छोड़ दो। श्लाघ्यस्त्यागोऽपि वैदेह्याः पतयुः प्राग्वंशवासिनः। 15/61 सीता के त्याग से राम की एक प्रशंसा यह भी हुई, कि राम ने किसी दूसरी स्त्री से अपना विवाह नहीं किया। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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