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कालिदास पर्याय कोश
फिर कुश ने अनमोल मूर्तियों से भरे घरों वाली अयोध्या का विधिपूर्वक पूजन कराया और पशुओं का बलिदान भी कराया।
सभा
1. संसद :- [ सम् + सद् + क्विप्] सभा, सम्मिलन, मंडल । तद्गीत श्रवणैकाग्रा संसदश्रुमुखी बभौ । 15/66
सारी सभा गूंगी होकर उनका गीत सुनती जा रही थी और आँखों से आँसू बहाती जा रही थी ।
तदद्भुतं संसदि रात्रिवृत्तं प्रातर्द्विजेभ्यो नृपतिः शशंस । 16 / 24
राजा ने रात की वह अचरजभरी घटना प्रातः काल सभा में ब्राह्मणों से कही।
2. सभा : - [ सह भान्ति अभीष्ट निश्चयार्थमेकत्र यत्र गृहे ] जलसा, परिषद्, गुप्तसभा ।
स ददर्श सभामध्ये सभासद्भिरुपस्थितम् । 15 / 39
राज सभा में पहुँच कर उन्होंने देखा कि राम बैठे हुए हैं और बहुत से सभासद् उनकी सेवा कर रहे हैं।
ययावुदीरितालोकः सुधर्मानवमां सभाम् । 17/27
तब वे अपनी उस सभा की ओर चले, जो किसी प्रकार देवताओं की सभा से कम नहीं थी ।
समर
1. आयोधन :- [ आ + युध् + ल्युट् ] युद्ध, लड़ाई, संग्राम ।
आयोधनाग्रसरतां त्वयि वीर याते किं वा रिपूँस्तव गुरुः स्वयमुच्छिनत्ति ।
5/71
जब तुम्हारे जैसे योग्य पुत्र युद्ध में जाकर लड़ते हैं, तब तुम्हारे पिताजी को क्या कभी शत्रुओं को स्वयं मारने का कष्ट उठाना पड़ता है, कभी नहीं । आयोधने कृष्णगतिं सहायमवाप्य यः क्षत्रियकाल रात्रिम् | 6/42
अग्नि की सहायता पा लेने से ये परशुराम जी के उस फरसे की तेज धारा को, जिसने युद्ध क्षेत्र में क्षत्रियों का संहार कर डाला था ।
2. जन्य : - [जन् + ण्यत्, जन् + णिच् + यत् वा ] संग्राम, तत्र जन्यं रघोर्घोरं पर्वतीयैर्गणैरभूत । 4/77 पहाड़ी सेनाओं से रघु की सेना की घनघोर लड़ाई हुई।
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युद्ध ।