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कालिदास पर्याय कोश लक्ष्म्या निमत्रयांचक्रे तमनुच्छिष्ट संपदा। 12/15 अयोध्या की राज्यलक्ष्मी को मैंने छुआ भी नहीं, आप ही चलकर उस संपत्ति को संभालिए।
सिंह
1. केसरी :-[केसर + इनि] सिंह।
स पाटलायां गवि तस्थिवासं धनुर्धरः केसरिणं ददर्श। 2/29 धनुषधारी राजा दिलीप ने देखा कि उस लाल गौ पर बैठा हुआ सिंह ऐसा लग रहा है, जैसे। धनुरधिज्यमनाधिरूपाददे नरवरो खरोषित केसरी। 9/54 तब उस सुन्दर स्वस्थ राजा ने अपना वह चढ़ा हुआ धनुष उठाया, जिसकी टंकार
सुनकर सिह भी गरज उठे। 2. मृगराज :-[मृग + क + राजः] सिंह। शिलाविभंगैर्मृगराज शावस्तुङ्गं नगोत्संगमिवारुरोह। 6/3
जैसे सिंह का बच्चा एक-एक शिला पर पैर रखता हुआ पहाड़ पर चढ़ जाता है। 3. मृगाधिराज :-[मृग + क + अधिराजः] सिंह।
इति प्रगल्भं पुरुषाधिराजो मृगाधि राजस्य वचो निशम्य। 2/41
सिंह की ऐसी ढीठ बातें सुनकर, जब राजा को यह विश्वास हो गया कि। 4. मृगेन्द्र :-[मृग + क + इन्द्रः] सिंह। .
ततो मृगेन्द्रस्य मृगेन्द्रगामी वधाय वध्यस्य शरं शरण्यः। 2/30 उस समय सिंह के समान चलने वाले राजा दिलीप क्रोध से लाल हो गए और उन्होंने समझा कि यह सिंह मेरी शरण में आई हुई गौ को मारकर मेरा अपमान करना चाहता है। बस,झट उन्होंने सिंह को मारने के लिए बाण निकालने को हाथ उठाया। संरुद्धचेष्टस्य मृगेन्द्र कामं हास्यं वचक्तद्यदहं विवक्षुः। 2/43 हे सिंह! हाथ के बंध जाने से मैं कुछ नहीं कर सकता, इसलिए जो कुछ मैं कहूँगा, उसकी सब खिल्ली ही उड़ावेंगे। एतावदुक्त्वा विरते मृगेन्द्र प्रति स्वनेनास्य गुहागतेन। 2151 जब राजा दिलीप से इतना कहकर सिंह चुप हो गया, तब पर्वत की कंदरा से भी उसकी गूंज सुनाई पड़ी।
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