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कालिदास पर्याय कोश
श्याम
1. कृष्ण :-[कृष् + नक्] काला, श्याम, गहरा नीला।
अभिवृष्य मरुत्सस्यं कृष्णमेघस्तिरोदधे। 10/48 जैसे सूखे के दिनों में कोई काला बादल धान के खेत पर जल बरसाकर निकल जाये। क्वचिच्च कृष्णोरग भूषणेव भस्माङ्गरागा तनुरीश्वरस्य। 13/57 कहीं पर समाधि लगाए हुए शिवजी के शरीर के समान दिखाई पड़ रही है, जिस
पर काले-काले सर्प लिपटे हुए हैं। 2. श्याम :-[श्यै + मक्] काला, गहरा नीला, काले रंग का।
प्राप तालीवन श्याममुपकण्ठं महोदधेः। 4/34 उस समुद्र के किनारे पहुंचे, जो तट पर खड़े हुए ताड़ के वृक्षों की छाया पड़ने से काला दिखाई पड़ रहा है। इन्दीवरश्यामतनुनूपोऽसौ त्वं रोचनागौरशरीरयष्टिः। 6/65 फिर ये नील कमल के समान साँवले हैं और तुम गोरोचन जैसी गोरी हो। त्वया पुरस्तादुपयाचितो यः सोऽयं वटः श्याम इति प्रतीतः। 13/53 यह काला-काला वही बड़ का पेड़ है, जिसकी तुमने मनौती मानी थी।
श्री 1. कांति :-[कम् + क्तिन्] मनोहरता, सौन्दर्य ।
कुलेन कान्त्या वयसा नवेन गुणैश्च तैस्तैर्विनयप्रधानैः। 6/79
इनका कुल, रूप, यौवन और नम्रता ये सब गुण तुम्हारे ही जैसे हैं। 2. राग :-[रञ् भावे घञ्, नलोपकुत्वे] हर्ष, आनन्द, प्रियता, सौन्दर्य।
चरणयोर्नखराग समृद्धिभिर्मुकुट रत्नमरीचिभिरस्पृशन्। 9/13 वेसे ही सैकड़ों राजाओं ने पराक्रमी दशरथ के चरणों में अपने वे मुकुट वाले सिर रख दिए, जिनके मणि दशरथजी के पैर के नखों की ललाई से दमक उठते
थे।
3. शोभा :-[शुभ् + अ + टाप्] प्रकाश, कांति, दीप्ति, चमक, वैभव, सौन्दर्य,
लालित्य।
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