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कालिदास पर्याय कोश उन्होंने अपने बाणों से अनगिनत राक्षसों को मारकर लंका में स्त्रियों में कुहराम मचा दिया। निचखानाधिक क्रोधः शरं सव्येतरे भुजे। 12/90 रावण ने बड़ा क्रोध करके राम की उस दाहिनी भुजा में बाण मारा। शल्य :-[शल् + यत्] बाण, तीर, बी, नेजा। शल्य प्रोतं प्रेक्ष्य सकुम्भं मुनिपुत्रं तापादन्तः शल्य इवासीक्षितिपोऽपि।
9/75 बाण से बिंधा हुआ, घड़े पर झुका हुआ किसी मुनि का पुत्र पड़ा है। उसे देखकर उनको ऐसा कष्ट हुआ मानो इन्हें भी बाण लग गया हो। तच्चोदितच तमनुद्धृतशल्यमेव पित्रीः सकाशमवसन्नदृशोर्निनाय।9/77 राजा दशरथ ने उस बाण से बिंधे हुए मुनि-पुत्र को उठाया और उसके माता-पिता के पास ले गए। तौ दंपती बहु विलाप शिशोः प्रहर्ता शल्यं निखात मुदहारयतामुरस्तः।
9/78 वे दोनों दंपति डाढ़ माढ़कर रोने लगे और अपने पुत्र के हत्यारे को आज्ञा दी, कि
मेरे पुत्र की छाती में से बाण निकाल लो। 10. शिलीमुख :-[शिलि + ङीष् + मुख:] बाण, भौरा।
जितारिपक्षोऽपि शिलीमुखैर्यः शालीनतामव्रजदीयमानः। 18/17
यद्यपि उन्होंने बाणों से शत्रुओं को जीत लिया, फिर भी स्वयं वे नम्र रहे। 11. सायक:-[सो + ण्वुल्] बाण।
नवाम्बुदानीकमुहूर्त लाञ्छने धनुष्य मोघं समधत्त सायकम्। 3/53 अपने धनुष पर ऐसा बाण चढ़ाया, जिसका वार कभी चूकता नहीं, इन्द्र का वह धनुष इतना सुंदर था कि उसने थोड़ी देर के लिए नये बादलों में इन्द्रधनुष जैसे रंग भर दिए। भुजे शचीपत्र विशेषकाङ्किते स्वनामचिह्न निचखान सायकम्। 3/55 रघु ने एक इन्द्र की उस बाईं भुजा में अपना नाम खुदा हुआ एक बाण मारा, जिस पर शची ने कुछ चित्रकारी कर दी थी। यच्चकार विवरं शिला घने ताडकोरसि स रामसायकः। 11/18 राम के उस बाण ने पत्थर की चट्टान के समान कठोर ताड़का की छाती में जो छेद किया।
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