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कालिदास पर्याय कोश
जैसे इन्द्र ने कालनेमि को मारने वाले विष्णु का स्वागत किया था, वैसे ही। 6. त्रिलोकनाथ :-[त्रि + लोकम् + नाथः] इन्द्र का विशेषण। त्रिलोकनाथेन सदा मखद्विषस्त्वया नियम्या ननु दिव्यचक्षुषा। 3/45 आपको तो यह चाहिए कि संसार में जो कोई भी यज्ञ में विघ्न डाले, उसे आप
स्वयं दंड दें, क्योंकि आप तो तीनों लोकों के स्वामी हैं। 7. त्रिविष्टपपति :-[त्रि + विष्टपम् + पतिः] इन्द्र का विशेषण।
असौ कुमारस्तमजोऽनुजातस्त्रिविष्टपस्येव पतिं जयन्तः। 6/78 जैसे इन्द्र के पुत्र जयंत बड़े प्रतापी हुए थे, वैसे ही कुमार अज भी उन्हीं प्रतापी
रघु के पुत्र हैं। 8. दिवभर्ता :-[दीव्यन्त्यत्र दिव + बा आधारे डिवि :-तारा० + भर्ता] इन्द्र का
विशेषण। न मैथिलेयः स्पृहयां बभूव भत्रे दिवो नाप्यलकेश्वराय। 16/42 जानकी जी के पुत्र कुश को न तो स्वर्ग के स्वामी इन्द्र बनने की इच्छा रह गई
और न ही अलकापुरी ही लेने की। 9. दिवस्पति :-[दिवः + पतिः] इन्द्र का विशेषण।
तयोर्दिवस्पतेरासीदेवः सिंहासनार्ध भाक्। 17/7
कुश को तो इन्द्र के सिंहासन का आधा भाग मिला। 10. दिवौकसाधिपति :-इन्द्र का विशेषण।
इति प्रगल्भं रघुणा समीरितं वचो निशम्याधिपतिर्दिवौकसाम्। 3/47
रघु के अभिमान भरे इन वचनों को सुनकर इन्द्र को बड़ा आश्चर्य हुआ। 11. देवेन्द्र :-[दिव + अच् + इन्द्रः] इन्द्र का विशेषण।
मखांशभाजां प्रथमो मनीषिभिस्त्वया नियम्या ननु दिव्यचक्षुषा। 3/44 हे देवेन्द्र! विद्वानों का कहना है कि यज्ञ का भाग सबसे पहले आपको ही
मिलता है। 12. पाकशासन :-[पच् + घञ् + शासन:] इन्द्र का विशेषण।
पृथिवीं शासतस्तस्य पाकशासन तेजसः। 10/1 अपार धन वाले और इन्द्र के समान तेजस्वी राजा दशरथ को पृथ्वी पर राज
करते करते। 13. पुरंदर :-[पुरं दारयति :-इति दृ + णिच् + खच्, मुम्] इन्द्र।
पुरंदरश्रीः पुरमुत्पताकं प्रविश्य पौरैरभिनन्द्य मानः। 2/74
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