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रघुवंश
यौवनोन्नत विलासिनी स्तन क्षोभलोलकलाश्च दीर्घिकाः । 19/9
स्त्रियों के ऊँचे-ऊँचे स्तन जब बावली के कमलों से टकराते थे, तब वे कमल हिलने लगते थे ।
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28. स्त्री : - [स्त्यासेते शुक्रशोणिते यस्याम् :- स्त्यै + ड्रप् + ङीप् ] नारी, औरत,
पत्नी ।
अतो नृपाश्चक्षमिरे समेताः स्त्रीरत्नलाभं न तदात्मजस्य । 7/34 इसलिए वे राजा यह भी नहीं सह सके कि रघु का पुत्र हम लोगों के रहते हुए स्त्रियों में रत्न इंदुमती को लेकर चला जाये ।
शुशुभिरे स्मितचारुतरानना स्त्रिय इव श्लथशिञ्जितमेखलाः । 9/37 (वे बावलियाँ ऐसी सुंदर जान पड़ती थीं) मानो उनमें मुस्कराती हुई सुंदर मुखवाली और बजती हुई ढ़ीली तगड़ी वाली स्त्रियाँ विहार कर रही हों ।। दैत्य स्त्रीगण्डलेखानां मदरागविलोपिभिः । 10/12
असुरों को मारकर उनकी स्त्रियों के गालों से मद की लाली मिटाने वाले । प्रीतिरोधमसहिष्ट सा पुरी स्त्रीव कान्तपरिभोगमायतम् । 11 /52 पर इस प्रेम को उस नगरी ने उसी प्रकार सहन किया, जैसे कोई स्त्री अपने प्रियतम के कठोर संभोग को सहन करती है ।
लङ्कास्त्रीणां पुनश्चक्रे विलापाचार्यक शरैः । 12/78
अपने बाणों से अनगिनत राक्षसों को मारकर लंका की स्त्रियों में फिर से कुहराम मचा दिया।
ततो नृपेणानुगताः स्त्रियस्त भ्राजिष्णुना सातिशयं विरेजुः । 16/69 उस कांतिमान राजा के साथ क्रीड़ा करती हुई वे रानियाँ (स्त्रियाँ), पहले से भी अधिक सुंदर लगने लगीं ।
अङ्गसत्त्ववचनाश्रयं मिथः स्त्रीषु नृत्यमुपधाय दर्शयन् । 19 / 36 जब वह एकांत में स्त्रियों को आंगिक, सात्त्विक और वाचिक तीनों प्रकार का अभिनय सिखाकर उनका प्रदर्शन करता था ।
29. सहचरी : - सहेली, पत्नी, सखी ।
लक्ष्मीकृतस्य हरिणस्य हरिप्रभावः प्रेक्ष्य स्थितां सहचरीं व्यवधाय देहम् ।
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राजा दशरथ ने देखा कि वे जिस हरिण को मारना चाहते थे, उसकी पत्नी हरिणी बीच में आकर खड़ी हो गई ।