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रघुवंश
25. नृसिंह :- [नी + ऋन् डिच्च + सिंहः] राजा, सिंह जैसा मनुष्य । मृगायताक्षो मृगया बिहारी सिंहादवाप द्विपदं नृसिंहः । 18/35 राजा ध्रुव के नेत्र मृगों के नेत्रों के समान बड़े-बड़े थे और वे पुरुषों में सिंह के समान थे, एक दिन वे जंगल में आखेट करते हुए मारे गए।
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26. नृसोम : - [नी + ऋन् + डिच्च् + सोमः ] राजा, वैभवशाली मनुष्य । तथेत्युपस्पृश्य पयः पवित्रं सोमोद्भवायाः सरितो नृसोमः । 5/59 चन्द्रमा के समान सुनदर राजा अज ने गंधर्व का कहना मान लिया, उन्होंने पहले चन्द्रमा से निकली हुई नर्मदा के पवित्र जल का आचमन किया। 27. पार्थिव :- [पृथिवी + अण् ] राजा, प्रभु ।
पुरस्कृता वर्त्मनि पार्थिवेन प्रत्युद्गता पार्थिवधर्मपल्या | 2/20
आश्रम के मार्ग में गौ के पीछे राजा दिलीप थे और आगे आगवानी के लिए रानी सुदक्षिणा खड़ी थीं।
श्रुतस्य यायादयमन्तमर्भकस्तथा परेषां युधि चेति पार्थिवः । 3/21 राजा ने अपने पुत्र का नाम रघु इसलिए रखा कि वह संपूर्ण शास्त्रों के पार भी जाएगा और युद्धक्षेत्र में शत्रुओं के व्यूह को तोड़कर उनके भी पार जाएगा। न केवलं तद्गुरुरेक पार्थिवः क्षितावभूदेक धनुर्धरोऽपि सः । 3/31 उनके पिता केवल चक्रवर्ती राजा ही नहीं थे, वरन् अद्वितीय धनुर्धर भी थे । बभूव तेनातिरां सुदुः सहः कटप्रभेदेन करीव पार्थिवः । 3 / 37
जैसे मद बहने के कारण हाथी प्रचंड हो जाता है, वैसे ही प्रतापी रघु की सहायता से राजा दिलीप भी इतने शक्तिशाली हो गए कि उनके शत्रु उनसे काँपने लगे । अनेन पूना सह पार्थिवेन रम्भोरु कच्चिन्मनसो रुचिस्ते | 6/35
ये राजा अपनी स्त्रियों के साथ सदा उजले पाख का ही आनंद लेते हैं। केले के खंभे के समान जाँघ वाली इन्दुमती ! क्या तुम राजा के साथ विहार करना चाहती हो ।
सशोणितैस्तेन शिलीमुखाग्रैर्निक्षेपिताः केतुषु पार्थिवानाम् । 7/65
तब उन मूर्छित पड़े हुए राजाओं की ध्वजाओं पर रुधिर से सने बाणों की नोकों से यह लिख दिया गया।
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प्रत्यग्रहीन्पार्थिव वाहिनीं तां भागीरथीं शोण इवोत्तरंग: । 7/36 स्वयं राजा उस सेना को रोककर उसी प्रकार खड़े हो गए, जैसे बाढ़ के दिनों में ऊँची तरंगों वाला शोणनद गंगाजी की धारा को रोक लेता है।