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रघुवंश
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रामास्त्रोत्सारितोऽप्यासीत्सह्यलग्नं इवार्णवः ।1 4 / 53
यद्यपि परशुराम ने अपने फरसे से ही समुद्र को सह्य पर्वत से हटा दिया था, फिर भी ऐसा लगता है, मानो समुद्र फिर सह्याद्रि के पास से होकर बह रहा हो I निवारयामास महावराहः कल्पक्षयोद्वृत्तमिवार्णवाम्भः । 7/56 जैसे प्रलय के समय वराह भगवान् समुद्र के बढ़े हुए जल को चीरते हुए चलते
थे ।
विजयदुंदुभितां ययुरर्णवा घनरवा नरवाहन संपदः । 9 / 11
उस समय बादल के समान गरजता हुआ समुद्र उनकी विजय दुंदुभी बजाता था । प्राङ्मन्थादनभिव्यक्त रत्नोत्पत्तिरिवार्णवः । 10/3
जैसे समुद्र को रत्न उत्पन्न करने के लिए मथे जाने तक ठहरना पड़ा था । सप्तसामोपगीतं त्वां सप्तार्णवजलेशयम् । 10/21
सामवेद के सातों प्रकार के गीतों में आपके ही गुणों के गीत हैं, आप ही सातों समुद्रों के जल में निवास करते हैं।
त्वय्येव निपतंत्योधा जाह्नवीया इवार्णवे । 10/26
जैसे गंगाजी की सभी धाराएँ समुद्र में ही गिरती हैं, उसी प्रकार सभी मार्ग अलग-अलग होने पर भी आप में ही पहुँचते हैं।
तस्मिन्गते द्यां सुकृतोपलब्धां तत्संभवं शंखणमर्णवान्ता । 18 / 22 उन्होंने अपने पुण्य के बल से स्वर्ग प्राप्त किया और उनके पीछे शंखण नाम का उनका पुत्र शासक हुआ ।
तस्याननादुच्चरितो विवादश्चस्खाल वेलास्वपि नार्णवानाम् । 18 / 43 इस बालक अवस्था में भी उन्होंने जो आज्ञाएँ दीं, उन्हें समुद्र के तट वाले लोगों ने भी नहीं टाला।
2. अम्बुराशि : - [ अम्ब्+उण्+राशिः] समुद्र।
अनेन सार्धं विहराम्बुराशेस्तीरेषु तालीवनमर्मरेषु । 6 / 57
तुम चाहो तो इनके साथ विवाह करके समुद्रों के उन तटों पर विहार करो, , जहाँ दिन रात ताड़ के जंगलों की तड़तड़ाहट सुनाई देती है ।
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अन्तर्निर्विष्ट पदमात्मविनाशहेतुं शापं दधज्ज्वलनमार्विमाम्बुराशिः । 9/82 जैसे समुद्र के हृदय में बड़वानल जला करता है वैसे ही, अपने पाप से अधीर हृदय में मुनि का शाप लिए हुए वे घर लौटे।