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रघुवंश
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13. जनेश्वर :-[जन् + अच् + ईश्वरः] राजा।
राघवान्वितमुपस्थितं मुनिं तं निशम्य जनको जनेश्वरः। 11/35 जब राजा जनक को यह समाचार मिला कि विश्वामित्र जी के साथ राम और लक्ष्मण भी आए हुए हैं। इत्यारोपित पुत्रास्ते जननीनां जनेश्वराः। 15/91
इस प्रकार पुत्रों को राज्य देकर उन चारों राजाओं ने अपनी स्वर्गीया माताओं के। 14. दण्डधर :-[दण्ड् + अच् + धरः] राजा।
बल निषूदनमर्थपतिं च तं श्रमनुदं मनुदण्डधरान्वयम्। 9/3 दूसरे हैं मनुवंशी राजा दशरथ, जिन्होंने सुकर्मियों को धन देकर उनका पालन-पोषण
किया। 15. धराधिप :-[धृ + अच् + टाप् + अधिपः] राजा।
इति विस्मृतान्यकरणीयमात्मनः सचिवावलम्बितधुरं धराधिपम्। 9/69 इस पकार अपना सब काम भूले हुए और राज्य का भार मंत्रियो पर छोड़कर वन
में आए हुए राजा दशरथ का मन। 16. नरदेव :-[7 + अच् + देवः] राजा।
स पूर्वतः पर्वतपक्ष शातनं ददर्श देवं नरदेव संभवः। 3/42 राजा रघु क्या देखते हैं कि पर्वतों के पंख काटने वाले इन्द्र स्वयं उस घोड़े को। अथ स्तुते वन्दिभिरन्वयज्ञे सोमार्कवंश्ये नरदेवलोके। 6/8 इतने में सब राजाओं का वंश जानने वाले भाटों ने सूर्य और चन्द्र के वंश में
उत्पन्न होने वाले उन सब राजाओं की प्रशंसा की। 17. नरपति :-[नृ + अच् + पतिः] राजा।
नरपति कुल भूत्यै गर्भमाधत्त राज्ञी। 2/75 वैसे ही रानी सुदक्षिणा ने राजा दिलीप का वंश चलाने के लिए गर्भ धारण किया। नरपतिश्चकमे मृगयारतिं स मधुमन्मधुमन्मथ संनिभिः। 9/48 कामदेव के समान सुन्दर राजा दशरथ ने भी बसंत ऋतु का आनन्द लिया और फिर उनके मन में आखेट की इच्छा होने लगी। नरपति रति वाहयां बभूव क्वचिदसमेतपरिच्छद स्त्रियामाम्। 9/70 राजा को यह आखेट का व्यसन ऐसा लगा कि उन्हें पूरी रात बिना किसी सेवक के और बिना किसी स्त्री के अकेले ही काटनी पड़ी।
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