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कालिदास पर्याय कोश
वायु ने सुगंधित पराग फैलाकर और बादलों ने शीतल छाया देकर मार्ग में उन दोनों की बड़ी सेवा की।
6. जीमूत : - [ जयति नभः, जीयते अनिलेन जीवनस्थोदकस्य मूतं बन्धो यत्र, जीवनं जलं मूतं बद्धम् अनेन, जीवनं मुञ्चतीति वा पृषों० तारा०] बादल । अम्बुगर्भो हि जीमूतश्चातकैरभिनन्द्यते । 17/60
क्योंकि चातक उन्हीं बादलों का स्वागत करते हैं, जिनमें पानी भरा होता है । 7. तोयद : - [तु + विच्, तवे पूर्त्यै यति :- • या + क नि० साधुः + दः] बादल । अन्योन्यशोभापरिवृद्धये वां योगस्तडित्तोदयोरिवास्तु । 6/65
यदि तुम दोनों का विवाह हो जायेगा, तो तुम ऐसी सुंदर लगोगी जैसे बादल के साथ बिजली ।
तैजसस्य धनुषः प्रवृत्तये तोयदानिव सहस्रलोचनः । 11 /43 जैसे इन्द्र, बादलों को अपना धनुष प्रकट करने की आज्ञा दे देते हैं। 8. पयोद :- [ पय् + असुन्, पा + असुन्, इकारादेश्च
दः] बादल ।
मत्तः सदचारशचुः कलंकः पयोदवातादिव दर्पणस्य | 14/37
यद्यपि मैं सदाचारी होने के कारण पवित्र हूँ, फिर भी जैसे भाप पड़ने से स्वच्छ दर्पण भी धुंधला हो जाता है।
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9. पयोमुच : - [ पय् + असुन्, पा असुन्, इकारादेश्च + मुच्] बादल । सहस्त्रधात्मा व्यरुचद्विभक्तः पयोमुचां पंक्तिषु विद्युतेव । 6/5
लक्ष्मी ने अपनी शोभा उन लोगों में उसी प्रकार बाँट दी हो, जैसे बिजली अपनी चमक बादलों में बाँट देती है।
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उद्यन्ते स्म सुपर्णेन वेगाकृष्ट पयोमुचा । 10/61
अपने वेग के कारण अपने साथ बादलों को खींच कर ले जाता हुआ । 10. पयोवाह :- [पय + असुन्, पा + असुन्, इकारादेश्च + वाहः] बादल ।
प्रावृषेण्यं पयोवाहं विद्युदैरावताविव । 1/36
मानो वर्षा के बादल पर ऐरावत और बिजली दोनों चढ़े चले जा रहे हों । 11. पर्जन्य :- [ पृष् + शन्य, नि० षकारस्य जकारः] बादल या मेघ । प्रवृद्ध इव पर्जन्यः सारंगैरभिनन्दितः । 17/15 मान बहुत से चातक बादलों का गुण गा रहे हों । 12. बलाहक :- [बल + आ + हा + क्कुन] बादल ।