________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
270
कालिदास पर्याय कोश
भोगि वेष्टन मार्गेषु चन्दनानां समर्पितम्। 4/48 साँपों के सदा लिपटे रहने से मार्ग के चंदन के पेड़ के चारों ओर गहरी रेखाएँ बन गई थीं। गंगाशीकरिणो मार्गे मरुतस्तं सिषेविरे। 4/73 गंगाजी की फुहारों से ठंडा हुआ वायु मार्ग में रघु की सेवा करता जा रहा था। विवेश मंचान्तरराजमार्ग पतिं वरा क्लृप्त विवाहवेषा। 6/10 वर चुनने के लिए विवाह के समय का वेश धारण किए हुए इन्दुमती मंचों के बीच वाले राजमार्ग से आई। महीधरं मार्ग वशादुपेतं स्रोतोवहा सागरगामिनीव। 6/52 नरेन्द्र मार्गाट्ट इव प्रपेदे विवर्ण भावं स स भूमिपालः। 6/67 जैसे समुद्र की ओर बढ़ती हुई नदी मार्ग में पड़ने वाले पहाड़ को छोड़ जाती है वैसे ही मार्ग में जिन-जिन राजाओं को छोड़कर इन्दुमती आगे बढ़ गई, उनका मुँह उदास पड़ गया। तिस्त्रस्त्रिलोक प्रथितेन सार्धमजेन मार्गे वसतीरुषित्वा। 7/33 तीन लोकों में विख्यात अज के साथ मार्ग में तीन रातें बिताईं। आवृण्वतो लोचनमार्गमाजौ रजोऽन्धकारस्य विजृम्भितस्य। 7/42 आँखों के आगे अंधेरा छा देने वाली और युद्ध भूमि में फैली हुई धूल के अंधियारे में। अप्यर्धमार्गे परबाणलूना धनुर्भृतां हस्तवतां पृशत्काः। 7/45 जिन धनुषधारियों के हाथ बाण चलाने में सधे हुए थे, उनके बाण यद्यपि शत्रुओं के बाणों से बीच में ही टूट जाते थे। तदुपहित कुटुम्बः शान्ति मार्गोत्सुकोऽभून्न। 7/71 फिर उन्हें कुटुम्ब का भार सौंपकर मोक्ष मार्ग की साधना में लग गए। जग्राह स दुतवराह कुलस्य मार्ग सुव्यक्त मार्द्रपदपंक्तिभिरायताभिः। 9/59 मार्ग में पैर की गीली छापों की पाँत को देखकर जान पड़ता था कि तालों के कीचड़ से निकल-निकल पर सुअरों का झुण्ड उधर को भागा है। यावदादिशति पार्थिव स्तयोर्निर्गमाय पुरमार्ग संस्क्रियाम्। 11/3 अभी राजा दशरथ उनकी विदाई के लिए सड़क सजाने की आज्ञा अपने सेवकों को दे ही रहे थे।
For Private And Personal Use Only