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कालिदास पर्याय कोश गां गतस्य तव धाम वैष्णवं को पितो यसि मया दिदृक्षुणा। 11/85 किन्तु मैंने यह जानने के लिए आपको कष्ट दिया था, कि देखू आप विष्णु का कितना तेज लेकर पृथ्वी पर उतरे हैं। अहीनगुनीम स गां समग्राम हीन बाहुद्रविणः शशास। 18/14 देवानीक के पुत्र का नाम अहीनग था, वे युवावस्था में ही सारी पृथ्वी पर अपनी
बड़ी बाहों से शासन करने लगे। 6. धरित्री :-[धृ + इत्र + ङीष्] पृथ्वी।
स्वमूर्तिलाभ प्रकृतिं धरित्री लतेव सीता सहसा जगाम्। 14/54 जैसे लू लगने से लता सूखकर पृथ्वी पर गिर पड़ती है, वैसे ही सीता भी अपनी माँ पृथ्वी की गोद में गिर पड़ीं। नितान्त गुर्वीमपि सौनुभावाधुरं धरित्र्या विभरां बभूव। 18/45 फिर भी उनमें आत्मशक्ति इतनी थी कि उन्होंने पृथ्वी के अत्यंत भारी भार को
संभाल लिया। 7. पृथ्वी :-[पृथु + ङीष्] पृथिवी, धरा।
पृथ्वी शासतस्तस्य पाक शासन तेजसः। 10/1 अपार धन वाले और इन्द्र के समान तेजस्वी राजा दशरथ को पृथ्वी पर राज करते हुए। द्यावापृथिव्योः प्रत्यग्रमहर्पति रिवातपम्। 10/54 जैसे सूर्य अपनी धूप पृथ्वी और आकाश दोनों में बाँट देता है। मणि व्याजेन पर्यस्ताः पृथिव्यामभु विन्दवः। 10/75 मुकुट के कुछ मणि पृथ्वी पर गिर पड़े मानो आँसू ही लुढ़क पड़े हों। बुभुजे पृथ्वीपालः पृथिवीमेव केवलम्। 15/1 राजा राम ने केवल पृथ्वी का ही भोग किया। बभूव वज्राकर भूषणायाः पतिः पृथिव्याः किल वज्रणाभः। 18/21 उनके पीछे उनके पुत्र वज्रनाभ, हीरे की खानों का भूषण पहनने वाली पृथ्वी के
स्वामी हुए। 8. भुवः :-[भवत्यत्र, भू :-आधारादौ] पृथ्वी।
भावितात्मा भुवो भर्तुरथैनं प्रत्यबोधयत्। 1/74 वशिष्ठ जी ने अपने योग के बल से ध्यान किया कि पवित्र आत्मा वाले पृथ्वीपति को पुत्र क्यों नहीं हुआ।
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