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कालिदास पर्याय कोश दोहावसाने पुनरेव दोग्धीं भेजे भुजोच्छिन्नरिपुर्निष्णाम्। 2/23 जब नन्दिनी का दूध दुह लिया गया, तब लम्बी भुजा वाले, शत्रुओं को नष्ट करने वाला राजा दिलीप, फिर उनकी सेवा में लग गए। भुजे भुजगेन्द्र समान सारे भूयः स भूमे(रमाससज्ज। 2/74 वहाँ पहुँच कर उन्होंने शेषनाग के समान अपनी बलवती भुजाओं से फिर राजकाज संभाल लिया। प्रियानुरागस्य मनः समुन्नतेर्भुजार्जितानां च दिगन्त संपदाम्। 3/10 उन्नत भुजा वाले राजा दिलीप जितना रानी को प्यार करते थे, जितनी उन्हें प्रसन्नता थी और जितना बड़ा उनका राज्य था। भुजे शचीपत्रविशेषकांकिते स्वनाम चिह्न निचखान सायकम्। 3/55 अपना नाम खुदा हुआ बाण इन्द्र की उस बाईं भुजा में मारा, जिस पर शची ने कुंकुम आदि से कुछ चित्रकारी कर दी थी। ज्याबन्ध निष्पन्द भुजेन यस्य विनिः श्वसद्वका परम्परेण। 6/40 उसकी भुजाएँ इस प्रकार धनुष की डोरी से कसकर बाँध दिया था, कि वह बेचारा दिन-रात उसी में मरता रहता था। अथांगदाश्लिष्टभुजं भुजिष्या हेमांगदं नाम कलिंग नाथम्। 6/53 उस कलिंग देश के राजा हेमांगद के पास ले गई, जो अपनी बाँह में भुजबंध पहने हुए थे। ज्याघात रेखे सुभुजो भुजाभ्यां बिभर्ति यश्चापभृतां पुरोगः। 6/55 कैसी सुन्दर इनकी भुजाएं हैं, और धनुष धारियों में तो इनसे बढ़कर कोई है ही नहीं, इनकी भुजाओं पर जो दो रेखाएँ धनुष की डोरी खींचने से बन गई हैं। निवेश्य वामं भुजमासनार्धे तत्संनिवेशादधिकोन्नतांसः। 6/16 कोई राजा सिंहासन के एक ओर बाईं भुजा टेककर बैठ गया जिससे उसका बायाँ कंधा उठ गया। केयूरकोटि क्षततालुदेशा शिवा भुजच्छेदमपाचकार17/50 ज्यों ही उसने कटी हुई बाँह पर मुँह मारा, त्यों ही बाँह में बंधे हुए भुजबन्ध की नोक से उसका तालू कट गया और उसने उसे वहीं पर छोड़ दिया। स्वभुजवीर्यमगापयदुच्छ्रितं सुरवधूरवधूतभयाः शरैः। 9/19 अपने बाणों से अनेक शत्रुओं का नाश करके देवताओं की स्त्रियों का सब डर दूर कर दिया और वे सब दशरथजी के बाहुबल के गीत गाने लगीं।
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